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FATF में फैसले की घड़ी : 4 साल से पाकिस्तान निकलने को परेशान, लेकिन ये हरकतें पड़ेंगी भारी !

Updated Jun 16, 2022 | 19:36 IST

Pakistan in FATF Grey List: आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को साल 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। और उसके बाद से उसके लाख दावों के बावजूद, वह पिछले 4 साल से FATF की ग्रे लिस्ट में बरकरार है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
FATF की अहम बैठक जारी
मुख्य बातें
  • पाकिस्तान चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे देशों की वजह से वह ब्लैक लिस्ट होने से बचता रहा है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों का पाकिस्तान के प्रति उदार रवैया रखना मुश्किल नजर आ रहा है।
  • ऐसी संभावना है कि अभी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।

Pakistan in Grey List: पाकिस्तान (Pakistan) के लिए 17 जून का दिन बेहद अहम है। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को सारी उम्मीदें जर्मनी के बर्लिन में हो रही  फाइनेंशियल ऐक्‍शन टास्‍क फोर्स (FATF) की बैठक पर टिकी हुई है। अगर इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट (Grey List) से बाहर निकालने का फैसला नहीं होता है, तो फिर पाकिस्तान के आर्थिक हालात पहले से ज्यादा बदतर होना तय है। और यही चिंता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सताए जा रही है।

क्योंकि ऐसा होने पर उनकी कूटनीति पर सबसे ज्यादा सवाल उठेंगे। वह भी तब, जब वह खुद और उनकी सरकार के मंत्री लगातार विदेशी दौरे पर हैं। जहां वहां ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस कवायद में उन्हें हर बार की तरफ, इस बार भी चीन, तुर्की और मलेशिया से ही समर्थन मिलने का भरोसा है। जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों का पाकिस्तान के प्रति उदार रवैया रखना मुश्किल नजर आ रहा है।

4 साल से  ग्रे लिस्ट में है पाकिस्तान

आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को साल 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। और उसके बाद से उसके लाख दावों के बावजूद, वह पिछले 4 साल से FATF की ग्रे लिस्ट में बरकरार है।  इस बीच उसे  27 प्‍वाइंट वाला एक्‍शन प्‍लान दिए गए थे, जिनको लागू कर वह आतंकियों की फंडिंग पर न केवल लगा सकता था, बल्कि ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता था। लेकिन वह उन्हें पूरा करने में कामयाब नहीं रहा। 

FATF ने अक्टूबर 2021 तक  पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और उसके 'ऑपरेशनल कमांडर' जकीउर रहमान लखवी सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी समूहों के वरिष्ठ नेताओं और कमांडरों के मामलों की जांच और मुकदमा चलाने की बात कही थी। इसके बादअक्‍टूबर महीने में पाकिस्‍तान को सात और एक्‍शन प्‍लान दिए गए थे। 

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अब पाकिस्‍तान का दावा है कि उसने 34 में से 32 एक्‍शन प्‍लान को पूरा कर लिया है। ऐसे में उसे ग्रे लिस्ट से बाहर किया जाए। हालांकि पाकिस्तान के अखबार ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर अभी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाएगा। और उसे कम से कम फरवरी 2023 तक इंतजार करना होगा।

चीन-तुर्की की वजह से ब्लैक लिस्ट होने से बचता रहा है

इन 4 वर्षों में पाकिस्तान भले ही ग्रे लिस्ट से नहीं निकल पाया है। लेकिन चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे देशों की वजह से वह ब्लैक लिस्ट में जाने  से बचता रहा है। इस बार भी उसे उम्मीद है कि यह देश उसे ग्रे लिस्ट से निकालने में मदद करेंगे। इसीलिए अभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की की यात्रा की है। हालांकि ग्रे लिस्ट में रहने से उसके लिए आईएमएफ जैसी संस्था से कर्ज लेना मुश्किल हो रहा है। और उसका करीब 6 अरब डॉलर का लोन अटका हुआ है।

श्रीलंका की राह पर पाकिस्तान

प्रतिबंधों और कमजोर अर्थव्यवस्था से पाकिस्तान की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। हालात यह है कि सरकार के मंत्री अहसान इकबाल जनता से अपील कर रहे हैं कि वह चाय की खपत कम करें। जिससे आयात बिल कम किया जा सके। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का  विदेशी मुद्रा भंडार 10 अरब डॉलर से भी नीचे पहुंच गया है। जो कि पाकिस्तान की आयात जरूरतों को केवल डेढ़ से दो महीने तक पूरा सकता है। इसी तरह पाकिस्तानी रूपया डॉलर के मुकाबले 200 तक का आंकड़ा छू चुका है। जिसकी वजह से आयात महंगा हो गया। और सबसे अहम बात यह है कि ट्रेडिंग इकोनॉमिस्क की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में थोक महंगाई दर 13 साल के उच्चतम स्तर पहुंच चुक है। अप्रैल में  रिटेल महंगाई दर 13.8 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि जनवरी 2021 के बाद सबसे उच्च स्तर पर है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान को कर्ज की जरूरत है। लेकिन उसके ऊपर पहले से ही रिकॉर्ड कर्ज का बोझ है। दिसंबर 2021 में 51 लाख करोड़ रुपये  तक पहुंच गया था। इस कर्ज में करीब 21 लाख करोड़ रुपया विदेशी कर्ज है। और ग्रे लिस्ट में होने के कारण उसे नए कर्ज भी मिलने में दिक्कत आ रही है।