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Kulbhushan Jadhav : कुलभूषण जाधव को मिलेगा अपील करने का अधिकार, पाक संसद में विधेयक पारित

Updated Nov 17, 2021 | 17:30 IST

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने फैसेल में कहा था कि कुलभूषण जाधव को अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करने का अधिकार है। पाकिस्तानी संसद का फैसला आईसीजे के इस फैसले के अनुरूप है।  

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
कुलभूषण जाधव को मिलेगा अपील करने का अधिकार।
मुख्य बातें
  • जासूसी के आरोप में पाक की सैन्य अदालत ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी
  • इस फैसले के खिलाफ आईसीजे गया था भारत, ICJ ने जाधव की फांसी पर रोक लगाई
  • पाकिस्तान का कहना है कि जाधव जासूसी करने आए थे, बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया

नई दिल्ली : जासूसी मामले में जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अपील करने के अधिकार को मंजूरी देने के लिए पाकिस्तान ने एक विधेयक पारित किया है। इस विधेयक को मंजूरी बुधवार को पाकिस्तानी संसद के एक संयुक्त सत्र में दी गई। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने फैसेल में कहा था कि कुलभूषण जाधव को अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करने का अधिकार है। पाकिस्तानी संसद का फैसला आईसीजे के इस फैसले के अनुरूप है।  

जाधव की फांसी पर रोक लगा चुका है ICJ

जाधव अब पाकिस्तान की उच्च अदालतों में अपनी सजा के खिलाफ अपील कर पाएंगे। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे और उसने उन्हें बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई जिसके खिलाफ भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया। आईसीजे ने मामले की लंबी सुनवाई करने के बाद जाधव के फांसी पर रोक लगा दी और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार जाधव को सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

आईसीजे में भारत की जीत हुई

इससे पहले पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने जाधव को अपील करने का अधिकार देने के लिए गत 10 जून को विधेयक स्वीकार किया। जाधव (50) को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। उसके बाद भारत ने आईसीजे पहुंचकर उनकी मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। 

बलूचिस्तान से हुई जाधव की गिरफ्तारी

पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था। उन पर ईरान से यहां आने के आरोप लगे थे। भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा कर बलूचिस्तान लाया गया। वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार के सिलसिले में ईरान में थे।