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भारत की मदद से बांग्‍लादेश ने पाई थी आजादी, अलग देश स्‍वीकार करने में पाकिस्‍तान को लग गए थे 2 साल

Updated Jul 10, 2021 | 05:30 IST

बांग्‍लादेश ने 9 माह के खूनी संघर्ष के बाद पाकिस्‍तान से आजादी पाई थी, जिसमें भारत की भूमिका अहम थी। पाकिस्‍तान को इसे एक अलग व स्‍वतंत्र देश स्‍वीकार करने में 2 साल लग गए।

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भारत की मदद से बांग्‍लादेश ने पाई थी आजादी, अलग देश स्‍वीकार करने में पाकिस्‍तान को लग गए थे 2 साल (साभार : iStock)
मुख्य बातें
  • बांग्‍लादेश ने नौ महीने के खूनी संघर्ष के साथ पाकिस्‍तान से आजादी हासिल की थी
  • पाकिस्‍तान के खिलाफ बांग्‍ला लोगों के मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका अहम थी
  • एक अलग देश के रूप में बांग्‍लादेश को स्‍वीकारने में पाकिस्‍तान को लंबा वक्‍त लगा

नई दिल्‍ली : बांग्‍लादेश ने नौ महीने के खूनी संघर्ष के बाद पाकिस्‍तान से आजादी पाई थी और इसमें भारत की भूमिका सर्वविदित है। एक नए और स्‍वतंत्र देश के रूप में भारत ने इसे तभी मान्‍यता दे दी थी। लेकिन बांग्‍लादेश को एक स्‍वतंत्र व संप्रभु देश के रूप में स्‍वीकार करने में पाकिस्‍तान को दो साल लग गए। 1971 के युद्ध के करीब दो साल बाद 1973 में ही पाकिस्‍तान की संसद में इस आशय का प्रस्‍ताव पारित किया गया।

बांग्‍लादेश, जो कभी पूर्वी पाकिस्‍तान के तौर पर जाना जाता था, की आजादी को लेकर संघर्ष के बीज तो 1952 में ही पड़ गए गए थे, जब पाकिस्‍तानी हुकूमत ने उर्दू को पूरे देश की आधिकारिक भाषा बनाने की घोषणा की थी। बांग्‍ला संस्‍कृति व भाषा की अलग पहचान समेटे पूर्वी पाकिस्‍तान के लिए तब हुकूमत का वह फैसला अस्मिता का सवाल बन गया, जिसकी परिणिति एक अलग व स्‍वतंत्र देश के रूप में सामने आई।

पाकिस्‍तान ने ढाए बेइंतहां जुल्‍म

भाषाई व सांस्‍कृतिक अस्मिता को लेकर शुरू हुआ आंदोलन कब प्रभावी मुक्ति संग्राम में बदल गया, पाकिस्‍तानी हुक्‍मरान इसका अंदाजा लगाने में भी विफल रहे। देश की आजादी को लेकर निर्णायक लड़ाई हालांकि 1971 के नौ महीनों में हुई, जिसकी शुरुआत 26 मार्च को बांग्‍लादेश की आजादी की घोषणा के साथ हुई थी। आजादी की इस जंग के नायक शेख मुजीबउर रहमान थे, जिन्‍हें पाकिस्‍तान की सेना ने उसी रात गिरफ्तार कर लिया था।

पाकिस्‍तान से आजादी को लेकर तत्‍कालीन पूर्वी पाकिस्‍तान के इस आंदोलन को वैचारिक तौर पर भारत का समर्थन हासिल था। पाकिस्‍तान इन सबसे बौखलाया हुआ था। हालात ये हो गए कि पूर्वी पाकिस्तान में असहमति की तमाम आवाजों को भारत का एजेंट समझा जाने लगा। पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्च लाइट चलाकर पूर्वी पाकिस्तान में निहत्थे और मासूम लोगों को घर से निकाल-निकालकर मारना शुरू कर दिया।

भारत के हाथों करारी शिकस्‍त

ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों को पाक सेना के जवानों ने गोलियों से भून दिया तो महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्‍कर्म जैसी जघन्‍य वारदातें भी हुईं, जिसने बांग्‍ला लोगों में पाकिस्‍तान के प्रति नफरत और दुराव को और भड़काने का काम किया। भारत अब तक इस संघर्ष में औपचारिक तौर पर शामिल नहीं हुआ था, लेकिन 3 दिसंबर को जब पाकिस्‍तानी सेना की ओर से भारतीय हितों पर हमला किया गया तो भारत औपचारिक तौर पर युद्ध में कूद गया।

भारत और पाकिस्‍तान के बीच 13 दिनों तक जंग चली थी, जिसमें पाकिस्‍तान को करारी शिकस्‍त मिली थी और वैश्विक मानचित्र पर एक स्‍वतंत्र देश के रूप में बांग्‍लादेश सामने आया था। यह जंग 16 दिसंबर, 1971 को खत्‍म हुई थी, जब जनरल अमीर अब्दुल्ला खं नियाजी के साथ करीब 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्‍मसमर्पण कर दिया था। भारत इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाता है।

पाकिस्‍तान ने लिया 2 साल का वक्‍त

पाकिस्‍तान से अलग होकर बने देश के रूप में बांग्‍लादेश को भारत ने तभी मान्‍यता दे दी थी। दुनिया के कई अन्‍य मुल्‍कों ने भी बांग्‍लादेश को एक स्‍वतंत्र देश के रूप में स्‍वीकार कर लिया था, लेकिन पाकिस्‍तान को ऐसा करने में दो साल लग गए। पाकिस्‍तान की नेशनल एसेंबली से 10 जुलाई, 1973 को वह प्रस्‍ताव पारित किया गया, जिसमें बांग्लादेश को एक स्वतंत्र व संप्रभु देश स्‍वीकारने की बात कही गई।