- कई सालों से एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' से निकलने की कोशिश कर रहा पाक
- आतंकवाद की फंडिंग एवं मनीलॉन्ड्रिंग की निगरानी करती है एफएटीएफ
- एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान ने उसके कई बिंदुओं का पालन नहीं किया है
इस्लामाबाद : अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बदहाली की सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। क्योंकि, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में उसे 'ग्रे सूची' से बाहर निकलने की उम्मीद कम है। आंतकवाद के वित्त पोषण एवं मनीलॉन्ड्रिंग की निगरानी करने वाली संस्था एफएटीएफ की पेरिस में 22 फरवरी से 25 फरवरी तक बैठक होने जा रही है जिसमें आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों पर चर्चा होगी।
अभी 'ग्रे लिस्ट' में पाक को रखना चाहते हैं कई देश
पाकिस्तान अपने सहयोगी देशों चीन एवं तुर्की की मदद से इस सूची से निकलने की कोशिश करेगा लेकिन रिपोर्टों की मानें तो यूरोप के कई देश इस्लामाबाद के खिलाफ अपना स्टैंड लेने के लिए तैयार हैं। इन यूरोपीय देशों का कहना है कि एफएटीएफ की ओर से तय किए गए बिंदुओं को पाकिस्तान ने पूरी तरह लागू नहीं किया है।
फ्रांस और अमेरिका का कड़ा रुख
बहरहाल, पाकिस्तान 'ग्रे सूची' में रहेगा या नहीं, इस पर अंतिम फैसला वर्चुअल बैठक के अंतिम दिन होगा। रिपोर्टों की मानें तो कार्टून मसले पर पाकिस्तान के रुख से फ्रांस नाराज है और उसने एफएटीएफ से इस्लामाबाद को 'ग्रे सूची' में रखने की सिफारिश की है। यहीं नहीं, अमेरिकी पत्रकार डेनियल पत्रकार के अपहरण एवं हत्या मामले में आरोपियों की रिहाई से वाशिंगटन ने भी चिंता जाहिर की है। अमेरिका और फ्रांस के कड़े तेवरों के बाद पाकिस्तान को किसी तरह की राहत मिलने की उम्मीद कम है।
कई दायित्यों को पूरा नहीं कर पाया है पाक
गत अक्टूबर 2020 में आयोजित अंतिम पूर्णसत्र में, एफएटीएफ ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक अपनी ‘ग्रे लिस्ट’में जारी रहेगा क्योंकि यह वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से छह दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है। उसके अनुसार इसमें भारत के दो सबसे वांछित आतंकवादी - जैश-ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल है।
कर्ज नहीं मिलने से अर्थव्यवस्था का होगा बुरा हाल
पाकिस्तान के एक अधिकारी का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों की जानकारी देने वाला एक डॉसियर एफएटीएफ को सौंपा गया है। इसमें हाल के दिनों में आतंकवाद के खिलाफ और उसकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई है। पाकिस्तान आगे भी यदि 'ग्रे लिस्ट' में बना रहता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक सहित यूरोपियन यूनियन के बैंकों से कर्ज मिलने में मुश्किल होगी। दुनिया के बड़े कारोबारी एवं उद्यमी उसके यहां कारोबार लगाने से हिचकेंगे।