Omicron Pfizer effectiveness: कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर दुनियाभर में चिंताओं के बीच जहां वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है, वहीं एक रिसर्च में फाइजर वैक्सीन को लेकर ऐसा दावा किया गया है, जो चिंता बढ़ाने वाला है। दक्षिण अफ्रीका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, कोरोना वायरस के अन्य वैरिएंट के मुकाबले फाइजर के दो डोज को ओमिक्रोन पर कम प्रभावी पाया गया है। इसमें हालांकि बूस्टर डोज को कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से लड़ने में प्रभावी होने की बात कही गई है।
इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी वैक्सीन के बूस्टर डोज की वकालत करते हुए हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और ऐसे लोगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाने की अनुशंसा की है, जो पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिसकी वजह से उनकी इम्युनिटी प्रभावित हुई हो। ओमिक्रोन वैरिएंट से कोविड के तीसरी लहर की चेतावनी देते हुए IMA ने 12 से 18 साल के उम्र के बच्चों के वैक्सीनेशन में तेजी लाने पर भी जोर दिया है।
बूस्टर डोज पर जोर
ओमिक्रोन को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच दक्षिण अफ्रीका में जो रिसर्च हुआ है, उसके मुताबिक, फाइजर वैक्सीन की दो डोज का ओमिक्रोन वैरिएंट पर आंशिक असर ही देखा गया है। जांच में 12 ऐसे लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए थे, जिन्हें फाइजर वैक्सीन लगी थी। अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एलेक्स सिगल के मुताबिक, शरीर में जितनी एंटीबॉडी बनेंगी, ओमिक्रोन से निपटने के मौके उतने ही बढ़ते जाएंगे।
रिसर्च में बूस्टर डोज की सलाह देते हुए कहा गया है कि इससे एंटीबॉडी अधिक बनेंगे, जो कोविड से लड़ने में मददगार होगा। अब तक के शोधों में जहां इसे कोरोना वायरस के अब तक के सभी वैरिएंट्स के मुकाबले अधिक संक्रामक बताया गया है, वहीं इस पर अब भी मंथन जारी है कि यह किस कदर खतरनाक हो सकता है। कोविड के इस नए वैरिएंट से ऐसे लोग भी संक्रमित हुए हैं, जिन्होंने वैक्सीन ली हुई थी। ऐसे में चिंता और बढ़ी है।