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मुश्किल में पुतिन ! SWIFT बैन और इन कदमों से आर्थिक संकट का खतरा बढ़ा

Updated Mar 01, 2022 | 18:37 IST

Russia-Ukraine War: एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध गहरा होता जा रहा है। दूसरी तरह अब पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध सख्त करते जा रहे हैं। जिसका असर रूस की इकोनॉमी पर बड़े पैमाने पर हो सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
रूस पर पश्चिमी देशों ने सख्त किए प्रतिबंध
मुख्य बातें
  •  SWIFT पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगने पर रूस की जीडीपी में 5 फीसदी तक जीडीपी  गिरावट आ सकती है।
  • रूस का तेल और गैस का करीब 40 फीसदी लेन-देन स्विफ्ट से होता है।
  • चीन की ओर शिफ्ट हो सकता है रूस, अपने देश में भी पुतिन पर बिजनेसमैन उठा रहे हैं सवाल

Russia-Ukraine War: पुतिन के उम्मीदों के विपरीत रूस और यूक्रेन का युद्ध लंबा खिच चुका है। और वह न केवल पश्चिमी देशों के सख्त होते आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। बल्कि उनके देश में अब विरोध के सुर उठने लगे हैं। वहां के प्रमुख बिजनेसमैन भी बढ़ती कीमतों और गिरते रूबल से परेशान है। ऐसे माहौल में अमेरिका और यूरोप ने रूस पर SWIFT से लेन-देन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बदले में मंगलवार को खबर आई है कि रूस ने भी अपने देश से विदेशी निवेश को निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साफ है कि रूस और दुनिया अब सख्त प्रतिबंधों की ओर बढ़ रहे हैं। जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को उठना पड़ेगा।

क्या है SWIFT

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट कर रूस को स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से बाहर करने की जानकारी दी है। जॉनसन ने लिखा है कि, 'हमने रूस को वैश्विक वित्तीय प्रणाली से बाहर निकालने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ आज रात निर्णायक कार्रवाई की है, जिसमें स्विफ्ट से रूसी बैंकों को बाहर निकालने का महत्वपूर्ण पहला कदम भी शामिल है।' 

द सोसायटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनैंशल टेलिकम्युनिकेशन (The Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication)को स्विफ्ट के नाम से जाना जाता है। जो कि इंटरनेशनल पेमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम से दुनिया के 200 देश और 11 हजार बैंक जुड़े हुए हैं। जिसका ऑपरेशन बेल्जियम से होता है। वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अश्विनी राणा ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि जिस तरह भारत में घरेलू पेमेंट के लिए NEFT,RTGS का इस्तेमाल होता है। उसकी तरह SWIFT का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। नए प्रतिबंध से रूस के पेमेंट अटकेंगे और उसमें देरी आएगी। जो उसकी इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह साबित होगा। 

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार  SWIFT पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगने पर रूस की जीडीपी में 5 फीसदी तक जीडीपी  गिरावट आ सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार रूस के पास फरवरी में करीब 635 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था। इसमें से बड़ा हिस्सा विदेशों में मौजूद बैंकों में हैं। और करीब 40 फीसदी तेल और गैस का लेन-देन स्विफ्ट से होता है।

ईरान पर लग चुका है प्रतिबंध, चीन की ओर शिफ्ट हो सकता है रूस

इसके पहले साल 2018 में ईरान पर स्विफ्ट से लेन-देन का प्रतिबंध लगाया गया था। जिसकी वजह से उसे अपने एक तिहाई विदेशी कारोबार के लेन-देन का नुकसान उठाना पड़ा था। अगर स्विफ्ट की सख्ती का ज्यादा असर हुआ तो वह चीन की ओर रूख कर सकता है। जिसका अपना सीआईपीएस (क्रॉस बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम) है। इसके अलावा रूस का खुद का भी एसपीएफएस (सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मेसेजेज ) भी बनाया हुआ है। हालांकि इन कदमों का कारगर होना मुश्किल है। इस बीच आरटी न्यूज के मुताबिक पश्चिमी देशों की कार्रवाई को देखते हुए रूस के प्रधानमंत्री मिशुस्टिन ने प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा है कि यह प्रतिबंध अस्थायी हैं, क्योंकि ऐसा लग रहा है विदेशी निवेशक मौजूदा समय में आर्थिक वजहों की वजह से राजनीतिक दबाव में फैसला ले सकते हैं। इसे देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

रूस में भी बड़ा नुकसान

रूस की इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर कंपनी डीएनएस के चीफ एग्जीक्यूटिव दमित्री एलेक्सयेव ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ये युद्ध हमें पीछे धकेलेगा। समझ नहीं आया कि युद्ध की जरूरत क्या थी? उन्होंने यह कहा है कि सप्लाई में दिक्कतों की वजह से कीमतें 30 फीसदी बढ़ जाएगी। इसी तरह उड़ानों पर बैन लगाए जाने से  दूसरी सबसे बड़ी रूसी एयरलाइंस एस 7 ने कहा है कि कंपनी दिवालिया हो सकती है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले ही 116 अरबपतियों को 126 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो चुका है।

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