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नेपाल में चीन की हर चाल हो रही है नाकाम, प्रचंड बोले- भारत के इशारे नाच रहे हैं PM ओली

Pushpa Kamal Dahal Prachanda Accuses Nepal PM Oli Of Dissolving Parliament On India's Direction
Updated Jan 14, 2021 | 09:23 IST

नेपाल में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच म्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के एक धड़े के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम ओली भारत के इशारे पर चल रहे हैं।

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Pushpa Kamal Dahal Prachanda Accuses Nepal PM Oli Of Dissolving Parliament On India's DirectionPushpa Kamal Dahal Prachanda Accuses Nepal PM Oli Of Dissolving Parliament On India's Direction
रॉ चीफ के साथ नेपाली PM ओली ने की 3 घंटे तक मुलाकात: प्रचंड
मुख्य बातें
  • नेपाल में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच कम्युनिस्ट पार्टी नेता प्रचंड का ओली पर आरोप
  • प्रचंड ने लगाया पीएम ओली पर भारत के इशारे पर काम करने का आरोप
  • नेपाल में जारी अस्थिरता चीन को दे रही है बड़ी टेंशन

काठमांडू:  नेपाल इन दिनों राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। चीन की हर चाल अब नेपाल में नाकामयाब हो रही हैं। चीन ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जारी विवाद को सुलझाने की कोशिश खूब की थी लेकिन यह सफल नहीं सकी थी।  सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों बड़े नेताओं केपी ओली और पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच आई दूरियों की वजह से नेपाल में आई राजनीतिक अस्थिरता के बीच अब प्रचंड ने पीएम ओली पर बड़ा  आरोप लगाया है।

प्रचंड का आरोप

नेपाल के कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) एक धड़े के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने बुधवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर भारत के इशारे पर सत्तारूढ़ दल को विभाजित और संसद को भंग करने का आरोप लगाया। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा, ‘(लेकिन) अब क्या ओली ने भारत के निर्देश पर पार्टी को विभाजित कर दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया?’ उन्होंने कहा कि सच नेपाल की जनता के सामने आ गया।

रॉ प्रमुख के साथ ओली ने की बैठक
पीटीआई के अनुसार, प्रचंड ने आरोप लगाया, ‘ओली ने भारत की खुफिया शाखा रॉ के प्रमुख सामंत गोयल के बालुवतार में अपने निवास पर किसी भी तीसरे व्यक्ति की गैरमौजूदगी में तीन घंटे तक बैठक की जो स्पष्ट रूप से ओली की मंशा दर्शाता है।’ उन्होंने प्रधानमंत्री पर बाहरी ताकतों की गलत सलाह लेने का आरोप लगाया। प्रचंड ने कहा कि प्रतिनिधि सभा को भंग करके ओली ने संविधान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को एक झटका दिया जिसे लोगों के सात दशक के संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था।

चीन की हर कोशिश नकाम

दरअसल जैसे ही नेपाल की संसद भंग की गई तो चीन भी हैरान रह गया था क्योंकि चीन का इन दिनों नेपाल में काफी दखल बढ़ गया था। चीन के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था वो भी ऐसे समय जब उसने नेपाल में निवेश के साथ-साथ उसके कुछ हिस्से पर कब्जा भी कर लिया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन को रोकने तथा राजनीतिक अस्थिरता दूर करने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को भेजा जिसने नेपाल के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर सहित पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं से मुलाकात थी लेकिन कहीं से भी उसे सफलता नहीं मिल सकी थी।

20 दिसंबर को संसद भंग
पिछले साल 20 दिसंबर को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने ओली सरकार की सिफ़ारिश के बाद नेपाल की संसद को भंग कर दिया था और अप्रैल मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी।