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बॉर्डर पार करने वालों को मार दी जाती है गोली, उत्‍तर कोरिया में ऐसा है किम-जोंग उन का शासन

Updated Jan 29, 2021 | 23:03 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

उत्‍तर कोरिया में किम जोंग-उन का शासन है। बताया जाता है कि यहां दक्षिण कोरिया टीवी देखने के लिए भी लोगों को मौत की सजा सुना दी जाती है और उनके घरवालों को भी इस घटना का गवाह बनाया जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
बॉर्डर पार करने वालों को मार दी जाती है गोली, उत्‍तर कोरिया में ऐसा है किम-जोंग उन का शासन

प्‍योंगयांग : उत्‍तर कोरिया कभी अपने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर सुर्खियां बटोरता है तो कभी अपनी 'तानाशाही' व्‍यवस्‍था के लिए। उत्‍तर कोरिया में इस वक्‍त किम-जोंग उन का शासन है, जिनकी गिनती दुनिया 'तानाशाहों' में होती है। बताया जाता है कि उत्‍तर कोरिया में नागरिकों पर इतनी पाबंदियां हैं कि अगर कोई दक्षिण कोरियाई टीवी देखता है तो भी उसे मौत की सजा दे दी जाती है, जबकि बिना अनुमति चोरी से सीमा पार करने वालों को बॉर्डर पर ही गोली मार दी जाती है। फिर भी कुछ लोग विदेश भागने में कामयाब होते हैं।

उत्‍तर कोरिया से भागने वाले लोग आम तौर वे होते हैं, जिन्‍हें यहां की व्‍यवस्‍था रास नहीं आती। वे बेहतर जीवन की तलाश में उत्‍तर कोरिया से दूर दक्षिण कोरिया या आन्‍य देशों का रुख करते हैं। लेकिन यह बेहद जोखिम भरा होता है। उत्‍तर कोरियाई सीमा पर सख्‍ती की कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी है। अभी दिसंबर में भी एक रिपोर्ट में कहा गया कि सीमा से 0.6 मील के भीतर मिलने वाले किसी भी व्यक्ति को तत्काल गोली मारने के आदेश दिया गया है। बॉर्डर पर सेना की विशेष टुकड़ियों को भी तैनात किया गया है।

मौत देखने को मजबूर किए जाते हैं घरवाले

बीते साल जून में समाचार एजेंसी एएफपी ने एक दक्षिण कोरियाई एनजीओ की रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि 2015 से लेकर अब तक यहां 600 से अधिक लोग देश छोड़ चुके हैं। एनजीओ ने यहां 300 से अधिक ऐसे स्‍थानों के होने के बारे में भी कहा था, जहां लोगों को सार्वजनिक तौर पर मौत की सजा दी जाती है। इनमें नदी, मैदान, बाजार, स्‍कूल और खेल के मैदान से लेकर अन्‍य जगहें शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों को मृत्‍युदंड दिया जाता है, यहां तक कि उनके घरवालों और बच्‍चों को भी इसे देखने के लिए बाध्‍य किया जाता है, ताकि उनमें खौफ पैदा हो सके और वे उन कामों को न करें, जिसके लिए सरकार मना करती है। जिन लोगों को मौत की सजा दी गई, उनके अपराधों में सीमा पार करने का जोखिम मोल लेने से लेकर दक्षिण कोरियाई टीवी देखना तक शामिल था।

विदेश भागने वाले बताते हैं आपबीती

उत्‍तर कोरिया को लेकर इस तरह की अधिकांश रिपोर्ट दक्षिण कोरियाई समाचार-पत्र/पत्रिकाओं या उन लोगों के बयानों पर आधारित होती है, जो देश की सीमा पार कर भागने में कामयाब होते हैं। ये लोग भी उत्‍तर कोरिया से बाहर होने के बावजूद अपनी पहचान जाहिर करने से डरते हैं। ऐसे में हत्‍या की कई खबरों को पुष्‍ट कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं, जिनमें हत्‍या की खबरें सच साबित नहीं हुईं।

उत्‍तर कोरिया में हद दर्जे की सेंसरशिप है और वह अपने बारे में सामने आने वाली ऐसी खबरों पर प्रतिक्रिया भी नहीं देता। ऐसे में कई बार सच क्‍या है, इसकी तस्‍दीक पूरी तरह नहीं हो पाती है। इस मामले में उत्‍तर कोरिया की लोकप्रिय गायिका ह्योन सोंग-उल का जिक्र किया जा सकता है, जिनकी हत्‍या की बात 2013 में सामने आई थी, लेकिन 2018 के शीतकालीन ओलंपिक के दौरान उन्‍हें देखा गया।