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अमेरिका-यूरोप बनाम रूस में होगा आर्थिक युद्ध ! संकट के लिए रहें तैयार, पुतिन इस हथियार का करेंगे इस्तेमाल ?

Updated Feb 22, 2022 | 13:35 IST

Russia Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन विवाद का दुनिया पर असर दिखना शुरू हो गया है। कच्चे तेल की कीमतें 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं और दुनिया भर के प्रमुख शेयर बाजार में गिरावट देखी गई है।

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रूस -यू्क्रेन संकट गहरा गया है।
मुख्य बातें
  • अमेरिका और यूरोप रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसकी इकोनॉमी को बड़ी चोट पहुंचा सकते हैं।
  • बढ़ते प्रतिबंधों के बीच रूस, यूरोप में एनर्जी संकट खड़ा कर सकता है।
  • दुनिया भर में महंगाई बढ़ सकती है, साथ ही कई देशों में आर्थिक संकट भी खड़ा हो सकता है।

Russia Ukraine Crisis:रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूक्रेन (Ukraine) के विद्रोहियों के कब्जे वाले लुहांस्क और डोनेस्टक प्रांत को स्वतंत्र देश की मान्यता देकर, रूस-यूक्रेन संकट को और गहरा दिया है। ऐसा लग रहा है कि पुतिन ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। उनके बयान से साफ है कि वह अपने कदम पीछे हटाने के मूड में नहीं हैं। पुतिन ने कहा है यूक्रेन अमेरिका की कॉलोनी बन चुका है, जहां कठपुतली सरकार चल रही है। वहीं उनके बयान पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि हम हम डरते नहीं हैं। जाहिर है जेलेंस्की पश्चिमी देशों के समर्थन के भरोसे ही इस तरह के बयान दे रहे हैं।

इस बीच अमेरिका (USA) ने सख्ती उठानी शुरू कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने पूर्वी यूक्रेन के साथ कारोबार, निवेश एवं आर्थिक सहायता पर रोक लगाने वाले एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर दिया है। इसके अलावा यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह  डोनेस्टक एवं लुहांस्क को स्वतंत्र देश की मान्यता देने में शामिल देशों पर प्रतिबंध लगाएगा। इसी तरह ब्रिटेन ने भी रूस पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दे दिए हैं। इस बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्वीट कर मांग की है रूस के अवैध कदमों के जवाब में उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।

क्या छिड़ जाएगा आर्थिक युद्ध

असल में यूक्रेन नाटो संगठन का सदस्य नहीं है। ऐसे में यूक्रेन पर अगर रूस हमला करता है, तो नाटो के नियमों के अनुसार संगठन रूस पर हमला नहीं करेंगे।  ऐसे में रूस को रोकने के लिए कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। जिसका जवाब भी रूस के तरफ से जरूर दिया जाएगा। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में दुनिया के प्रमुख देशों के बीच आर्थिक युद्ध शुरू हो सकता है। जिसका भारत सहित पूरी दुनिया पर असर दिखेगा।

किस तरह के लग सकते हैं प्रतिबंध

पुराने इतिहास को देखा जाया तो प्रतिबंध के सबसे प्रमुख तरीकों में टेक्नोलॉजी स्तर पर प्रतिबंध से लेकर बड़े नेताओं और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के बैंक खाते से लेकर दूसरे देशों में मौजूद संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है। इसके अलावा एक-दूसरे के बैंकों से लेन-देने पर प्रतिबंध, एनर्जी सेक्टर में प्रतिबंध जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

रायटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सरकार ने अमेरिकी की चिप कंपनियों सतर्क कर दिया है और कहा है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इसलिए वह ऐसी सख्ती के लिए तैयार रहें। इसी तरह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और वहां के प्रमुख नेताओं और रूसी सेना के प्रमुख अधिकारियों की अमेरिका में मौजूद संपत्तियों को भी जब्त किया जा सकता है।

फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के तहत  अमेरिकी और यूरोपीय देश, रूस के बैंकों पर कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं। हालांकि 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया को कब्जे में लेने के बाद पहले से ही रूस के कई बैंकों पर अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं ,जिन्हें और सख्त किया जा सकता है। लेकिन रूस को चोट पहुंचाने के लिए सबसे बड़ा कदम SWIFT ट्रांजैक्शन पर प्रतिबंध लगाकर किया जा सकता है। SWIFT के जरिए दुनिया भर के 200 देशों में फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन किए जाते हैं। इस तरह के प्रतिबंध 2012 में ईरान पर लगाए जा चुके हैं। जिसकी वजह से ईरान को तेल निर्यात से होने वाली आय में भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

यूरोप में खड़ा हो सकता है एनर्जी संकट

आर्थिक युद्ध में रूस के लिए सबसे बड़ा हथियार गैस सप्लाई बन सकता है। क्योंकि रूस यूरोप को अपने कुल निर्यात का करीब 48 फीसदी एनर्जी सप्लाई करता है। यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एंड एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के अनुसार रूप पेट्रोलियम और दूसरे तरल ईंधन का उत्पादन करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। जो 2020 में प्रतिदिन औसतन 10.5 मिलियन बैरल पेट्रोलियम  ईंधन का उत्पादन करता है। इसी तरह ड्राई नेचुरल गैस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक रूस है।

2020 के आंकड़ों के अनुसार रूस ने 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल और गैस की सप्लाई की है। इसमें से करीब 48 फीसदी सप्लाई यूरोपीय देशों को है। जिसमें से नीदरलैंड, जर्मनी सबसे बड़े आयातक है।  ऐसे में अगर रूस पर प्रतिबंध लगता है तो वह यूरोपीय देशों में एनर्जी संकट खड़ा कर सकता है। हालांकि इससे रूस को भी निर्यात से होने वाली कमाई का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

भारत सहित दुनिया पर क्या होगा असर

रूस-यूक्रेन संकट ने दुनिया में असर दिखाना शुरू कर दिया है। कच्चे तेल की कीमतें मंगलवार को 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। कच्चा तेल 96.7 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। इसके पहले सितंबर 2014 में तेल की कीमतें इस स्तर पहुंची थी। अगर कच्चे तेल की कीमतों में कमी नहीं आई तो उसका सीधा असर महंगाई पर पड़ने वाला है। और भारत सहित प्रमुख तेल आयातक देशों में महंगाई बढ़ेगी। 

इसके अलावा प्रमुख शेयर बाजार में बिकवाली भी दिखनी शुरू हो गई है। क्योंकि निवेशक शेयर मार्केट से पैसे निकालकर गोल्ड में निवेश करना शुरू करेंगे। इसका असर मंगलवार को दिखा भी है। दुनिया भर के शेयर मार्केट में गिरावट देखी गई है। भारतीय शेयर बाजार में बीएसई में शुरूआती कारोबार में ही 1250 अंकों की गिरावट आ गई थी।

इसके अलावा गेहूं का संकट भी दुनिया में खड़ा हो सकता है, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर हो सकता है। क्योंकि रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तन प्रमुख गेहूं निर्यातक देश हैं।

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