- काबुल में चीन के राजदूत वांग यू की तालिबान के वरिष्ठ नेता से मुलाकात हुई है
- ज्यादातर देशों ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया है लेकिन चीन का खुला है
- तालिबान पर बैन लगाने के पक्ष में नहीं है चीन, कहा-यह सार्थक कदम नहीं होगा
काबुल : अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम हो जाने के बाद इस देश के साथ अपने हितों को सुरक्षित करने और आगे की रणनीति बनाने के लिए दुनिया के देश बैठकें कर रहे हैं तो कुछ देश तालिबान नेताओं के साथ सीधे तौर पर बातचीत के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। राजधानी काबुल में चीन के राजदूत वांग यू की मंगलवार को तालिबानी नेता अब्दुल सलम हनाफी से मुलाकात हुई। हनाफी कतर में तालिबान के राजनीतिक मामलों के उप प्रमुख हैं। तालिबान के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी है।
काबुल में अभी बंद नहीं हुआ चीन का दूतावास
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वांग और तालिबानी नेता के बीच चीनी दूतावास और राजनयिकों की सुरक्षा, अफगानिस्तान के ताजा हालात, द्विपक्षीय संबंधों एवं चीन की मानवीय सहायता पर बातचीत हुई। तालिबान ने एक सप्ताह पहले राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया। इसके बाद ज्यादातर देशों ने अपने दूतावास को बंद कर दिया और अपने राजनयिकों को वापस बुलाया है लेकिन चीन ने काबुल में अपना दूतावास अभी बंद नहीं किया है।
ईटीआईएम से तालिबान के हैं अच्छे संबंध
इसके पहले मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि चीन तालिबान को मान्यता देने के बारे में विचार कर रहा है। चीन की चिंता इस्ट तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) को लेकर है। इस चरमपंथी गुट से तालिबान के बेहतर संबंध हैं। चीन को लगता है कि ईटीआईएम उसके शिनजियांग प्रांत में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। यह संगठन उईगर मुसलमानों के समर्थन में आगे आ सकता है। तालिबान के नेताओं का एक दल पिछले महीने चीन का दौरा किया था। इस दौरान बीजिंग ने कहा कि ईटीआईएम उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा एवं क्षेत्रीय अखंडता के लिए एक सीधा खतरा बना हुआ है और ईटीआईएम के साथ लड़ाई अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझी जिम्मेदारी है।
तालिबान पर प्रतिबंध के पक्ष में नहीं है चीन
तालिबान को लेकर चीन नरम रुख अपना रहा है। वह उस पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में भी नहीं है। जानकार मानते हैं कि इसके पीछे उसकी घरेलू वजहें और अपने हित हैं। जी-7 देशों की मंगलवार की बैठक से पहले चीन ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को अतीत से सबक सीखना चाहिए और समझदारी से काम लेना चाहिए। बीजिंग ने कहा कि तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध सार्थक कदम साबित नहीं होगा। तालिबान पर नए प्रतिबंध लगाने की जी7 नेताओं की योजना पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि प्रतिबंध लगाने और दबाव बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा।