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Shinzo Abe: एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसने भारत-जापान के संबंधों को दिया नया आयाम, जानें आबे के बारे में पांच बड़ी बातें

Updated Jul 08, 2022 | 10:22 IST

Shinzo Abe: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को शुक्रवार सुबह नारा शहर में गोली मार दी गई जिसके बाद से उनकी हालत नाजुक है। आबे को भारत और जापान के बीच संबंध मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है।

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शिंजो आबे ने एक बार नहीं बल्कि चार बार भारत का दौरा किया
मुख्य बातें
  • नई दिल्ली और जापान के संबंधों को नया आकार देने वाले वाले नेता हैं शिंजो आबे
  • शिंजो आबे ने एक बार नहीं बल्कि चार बार भारत का दौरा किया
  • शिंजो आबे को शुक्रवार को जापान के नारा शहर में मारी गई गोली

नई दिल्ली: शुक्रवार सुबह जैसे ही यह खबर आई कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe shot) को जापान (Japan) के नारा शहर (Nara city) में गोली मार दी गई है तो दुनियाभर में हड़कंप मच गया। लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे आबे अपने देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं। जापान के प्रधानमंत्री रहते हुए उन्‍होंने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत किया था। साल 2020 में उन्‍होंने कोलाइटिस बीमारी के चलते प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था। फिलहाल गोलीबारी की इस घटना के बाद जापान में खलबली मच गई है।

भारत में शिंजो आबे

साल 2006 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के आबे को प्रधानमंत्री चुना गया तो वो साल 2007 तक देश के पीएम रहे। 2006-07 में अपने पहले कार्यकाल में, आबे ने भारत का दौरा किया और संसद को संबोधित किया। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्होंने तीन बार (जनवरी 2014, दिसंबर 2015, सितंबर 2017) भारत का दौरा किया जो किसी भी जापानी प्रधानमंत्री द्वारा किया गया सबसे अधिक भारत दौरा रहा। शिंजो आबे के कार्यकाल के दौरान भारत- जापान ना केवल और नजदीक आए बल्कि दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाई पर भी पहुंचे। वह 2014 में गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनने वाले पहले जापानी पीएम थे। यह भारत के संबंध के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है - उनकी मेजबानी एक ऐसी सरकार द्वारा की जा रही थी जो मई 2014 में चुनावों का सामना कर रही थी। यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों में उनका शानदार सम्मान रहा। आबे की आर्थिक नीतियों ने एक नए शब्‍द 'आबेनॉमिक्‍स' को जन्‍म दिया, जिसकी तर्ज पर ही भारत में भी पीएम नरेंद्र मोदी मोदी की आर्थिक नीतियों को 'मोदीनॉमिक्‍स' नाम दिया गया था। 

भारत सरकार ने दिया पद्म विभूषण

2001 में जब "जापान और भारत के बीच वैश्विक साझेदारी" की नींव रखी गई तो दोनों देश वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन पर राजी हुआ। 2005 में सालाना द्विपक्षीय बैठकें करने का फैसला किया गया। हालांकि, आबे के चलते 2012 के बाद इस प्रक्रिया में तेजी देखी गई। अगस्त 2007 में, जब आबे पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में भारत आए, तो उन्होंने अब प्रसिद्ध "दो समुद्रों का संगम" भाषण दिया - हिंद-प्रशांत की अपनी अवधारणा की नींव रखी। यह अवधारणा अब मुख्यधारा बन गई है और भारत-जापान संबंधों के मुख्य स्तंभों में से एक है। भारत से हमेशा नजदीकी रिश्ते के हिमायती रहे आबे को भारत सरकार ने 2021 में अपने दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया।

आबे के बारे में वो अहम बातें जिन्हें जानना है जरूरी

  1. शिंजो आबे सबसे ज्यादा बार आने वाले जापान के पहले प्रधानमंत्री हैं।
  2. वर्ष 2014 के बाद नरेंद्र मोदी और आबे की करीब दर्जनभर से ज्यादा बार मुलाकात हो चुकी है और दोनों की कैमिस्ट्री की हर जगह चर्चा रही। 
  3. भारत और जापान के बीच 15 बिलियन का बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट है और यह पीएम मोदी और शिंजो आबे की नजदीकी की वजह से ही आगे बढ़ पाया। 
  4. 2021 में भारत सरकार ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण देने का ऐलान किया। 
  5. दोनों देशों के बीच नागरिक परमाणु ऊर्जा, ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी,  समुद्री सुरक्षा, बुलेट ट्रेन और इंडो-पैसिफिक रणनीति जैसे कई मुद्दों पर काम किया गया।

भारत-जापान संबंधों में आई मजबूती

भारत के लिए आबे एक बेहद खास जापानी नेता बने रहेंगे। भारत के प्रति उनका लगाव और भारत-जापान संबंधों के लिए उनका दृष्टिकोण हिंद-प्रशांत के उनके दृष्टिकोण का केंद्र रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके संबंधों की वैश्विक स्तर पर भी खूब चर्चा हुई। चीनी आक्रमण के बारे में बढ़ती चिंताओं के परिणामस्वरूप टोक्यो और नई दिल्ली ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को आबे के कार्यकाल के दौरान और मजबूत किया। इस दौरान ना केवल संबंध मजबूत हुए बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापिरक रिश्ते भी मजबूत हुए।

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