वाशिंगटन : दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों का गुस्सा चीन के पशु बाजारों पर फूट रहा है, जहां हर तरह के पशु खुलेआम बिकने लगे हैं। चीन में कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद इन्हें बंद कर दिया गया था, लेकिन अब जब से वहां संक्रमण के मामले नियंत्रण में आए हैं, इन बाजारों में भी रौनक लौट आई है और लोग खूब खरीदारी करने के लिए जुट रहे हैं।
'बंद हो पशु बाजार'
कोरोना वायरस के संक्रमण पर चीन ने भले ही काबू पा लिया हो, लेकिन दुनिया के अन्य देशों में यह अब भी कहर बरपा रहा है और बहुत से लोगों का मानना है कि यह मामला चीन के वुहान शहर में एक सी-फूड मार्केट से ही सामने आया था और पशुओं से इंसान में गया। इसी के मद्देनजर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई देशों में चीन के पशु बाजारों को बंद किए जाने की मांग उठने लगी है।
मिलते हैं कई तरह के जानवर
उनका कहना है कि इन बाजारों में विभिन्न तरह के ताजा गोश्त के साथ तरह-तरह के स्तनपायी, सृप, मछलियां आदि जिंदा बेची जाती हैं। यहां मांस और जानवरों को तरोताजा रखने के लिए अक्सर पानी का छिड़काव होता रहता है। बाजारों में मवेशियों के खून और अन्य अवशेष भी जगह-जगह पड़े होते हैं, जो घातक बीमारियों के पनपने के लिए बिल्कुल अनुकूल माहौल होता है।
सीनेट सदस्यों ने लिखा पत्र
ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरीसन के बाद अब अमेरिकी सांसदों के एक सर्वदलीय समूह ने भी कहा है कि चीन को इन 'वेट मार्केट्स' को तत्काल बंद कर देना चाहिए, यहां जानवरों से इंसानों में बीमारी फैलने का जोखिम हमेशा रहता है। अमेरिका में सीनेट के सदस्यों ने चीन के राजदूत क्युई तिनाकाई को इस संबंध में पत्र लिखा और पशु बाजारों को बंद करने की मांग करते हुए कहा कि इनसे इंसानों में 'जूनोटिक डिसीज' होने का खतरा बना होता है।
'जूनोटिक डिसीज का खतरा'
'जूनोटिक डिसीज' ऐसी बीमारी है, जो जानवारों से इंसानों में फैल सकती है। अमेरिकी सीनेटर्स ने चीन के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक गाओ फू और कई अन्य दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि चीन के वेट मार्केट्स दुनियाभर में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का स्रोत रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस खतरे से बचाने के लिए इन्हें बंद करना आवश्यक है।