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Taliban Afghanistan: तालिबान के कब्जे में मजार-ए-शरीफ, काबुल के करीब और पहुंचे

Updated Aug 14, 2021 | 23:18 IST

क्या अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान अपना झंडा फहरा देगा या कोई राजनीतिक सहमति बन पाएगी। इन सबके बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी ने समाधान की पेशकश की है।

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तालिबान का मजार-ए-शरीफ पर कब्जा, काबुल के पहुंचे करीब
मुख्य बातें
  • काबुल के काफी करीब तालिबान लड़ाके
  • राष्ट्रपति पैलेस में बड़ी बैठक हुई जिसमें अशरफ गनी और अमेरिकी अधिकारी शामिल हुए
  • फिलहाल अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान का कब्जा है

अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान का कब्जा हो चुका है और तालिबान लड़ाके किसी तरह काबुल पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। इन सबके बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की तरफ से राजनीतिक समाधान की पेशकश की गई। प्रेसिडेंशियल पैलेस में इस संबंध में मीटिंग हुई जिसमें अमेरिकी अधिकारी भी मौजूद थे। इन सबके बीच बल्ख के मजार ए शरीफ में अफगानी सेना और तालिबान लड़ाकों में हुई लड़ाई में तालिबानी विजयी रहे और शहर पर कब्जा कर लिया है।

मजार-ए-शरीफ के पास भीषण लड़ाई हुई
उत्तरी बल्ख प्रांत में मजार-ए-शरीफ शहर के पास अफगान बलों और तालिबान के बीच भीषण लड़ाई हुई। बल्ख के गवर्नर फरहाद अज़ीमी ने कहा कि तालिबान ने शनिवार सुबह शहर पर विभिन्न दिशाओं से हमले किए लेकिन सुरक्षा बलों ने समूह का "बहादुरी विरोध" किया। शुरू में तालिबान ने कुछ प्रगति की लेकिन सुरक्षा बलों ने सुदृढीकरण मिलने के बाद अपने हमलों को रद्द कर दिया। लेकिन तालिबान  ने दावा किया है कि मजार ए शरीफ पर उसका कब्जा हो चुका है।

काबुल से निकलने के लिए हवाई अड्डा ही एकमात्र रास्ता
तालिबान लड़ाकों के राजधानी काबुल के करीब पहुंचने के साथ ही युद्ध में जान बचाकर निकलने वालों और अभी भी अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी राजनयिकों को सुरक्षित निकालने के लिये भेजे गए अमेरिकों सैनिकों के यहां आने के लिए एकमात्र जो रास्ता बचा है, वो काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है।इस बीच, हवाईअड्डा टर्मिनल के बाहर पार्किंग स्थल में बने टिकट काउंटर पर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है जोकि आगे बढ़ने के साथ ही अपना सामान, कालीन, टेलीविजन सेट, यादगार वस्तुओं और कपड़ों को समेटते दिखाई दे रहे हैं ताकि उनका सामान वजन ले जाने की सीमा को पार नहीं कर जाए।वहीं, जिन भाग्यशाली लोगों को देश से कहीं भी बाहर जाने के विमान का टिकट मिल गया है, वे अपनी उड़ान का इंतजार करने के दौरान पीछे छूट रहे अपने प्रियजनों से लिपटकर रोते हुए विदा ले रहे हैं। जैसे-जैसे तालिबान करीब आ रहा है लोगों की घबराहट बढ़ रही है।

चश्मदीद ने क्या कहा
नाटो के साथ उप-ठेकेदार के तौर पर काम करने वाले नावीद अजीमी ने अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ इस्तांबुल के लिए रवाना होने के दौरान कहा, '' इस युद्ध से दूर अपना नया जीवन शुरू करने के लिए जो भी जरूरी सामान में एकत्र कर सकता था, उसे ले जा रहा हूं।अजीमी को डर है कि नाटो से जुड़कर काम करने के चलते तालिबान उनकी हत्या कर देगा।पूर्व में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के नाम से पहचाने जाने वाला काबुल हवाई अड्डा शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित है, जहां सैन्य विमान उतारने के साथ ही 100 विमानों के संचालन की क्षमता है।

आम दिनों में जहां हवाईअड्डे पर पारंपरिक लिबास पहने अफगान नागरिक, चश्मा पहने एवं टैटू गुदे सैन्य ठेकेदार और दुनिया के तमाम हिस्सों के सहायता कर्मी टहलते नजर आते थे। वहीं, इस जगह पर अब काबुल छोड़ने को आतुर घबराए लोग दिखाई दे रहे हैं।हवाईअड्डा कर्मचारियों ने बताया कि अफगान एयरलाइन एरियाना और कैम एयर की उड़ानों में कम से कम अगले सप्ताह तक सभी सीटें बुक हैं। इतना ही नहीं, जिन लोगों के पास टिकट है, उन्हें भी उड़ान में सवार होने के लिए कोरोना वायरस जांच रिपोर्ट दिखानी है। एक अफगान कारोबारी फरीद अहमद यूनुसी ने कहा कि  मैंने हवाईअड्डे पर इससे पहले कभी इतनी भीड़ नहीं देखी।'उन्होंने कहा कि वह कंधार में अपनी करीब दस लाख डॉलर की कंपनी छोड़कर भाग आए हैं क्योंकि तालिबान उनकी तलाश कर रहा था।यूनुसी ने कहा कि पूरी मेहनत से पिछले 20 सालों में जिन चीजों को मैंने जुटाया, वो सब कुछ अब तालिबान का है।

तालिबान बोला- जीत हमारी होगी
 तालिबान के अट्टा मोहम्मद नूर ने कहा तमारी फ्रंटलाइन स्थिर बनी हुई है। जनता ने लड़ने की ठान ली है। सुरक्षा बल लड़ने के लिए दृढ़ हैं, ।तालिबान के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम और अत्ता मोहम्मद नूर कर रहे हैं। 209 शाहीन कोर के कमांडर जबीहुल्लाह मोहमंद ने कहा, "आप निकट भविष्य में बल्ख प्रांत में बड़े बदलाव देखेंगे।दोस्तम ने कहा कि हम जिंदा रहने तक अग्रिम पंक्ति में रहेंगे और हम इस लोगों और व्यवस्था की रक्षा करेंगे।"उत्तर में पाँच प्रांतीय राजधानियाँ, जिनमें मज़ार-ए-शरीफ़, बल्ख का केंद्र और मैमाना शामिल हैं, अभी भी सरकारी नियंत्रण में हैं।मैमाना शहर में शुक्रवार रात सुरक्षाबलों और तालिबान के बीच झड़प की खबर आई।