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Kabul: काबुल में पाकिस्तान विरोधी रैली में उमड़ा हुजूम, तितर-बितर करने के लिए तालिबान ने चलाईं गोलियां

Updated Sep 07, 2021 | 13:11 IST

Anti-Pakistan rally in Kabul: अफगानिस्तान की सत्ता पर भले ही तालिबान आसीन हो गया हो लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान का कितना समर्थन था ये किसी से छिपा नहीं है। अब काबुल की सड़कों पर पाक विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं।

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काबुल: पाक विरोधी रैली में उमड़ा हुजूम, तालिबान की गोलीबारी
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में हो रहे हैं पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
  • काबुल में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन में उमड़ी लोगों की भीड़
  • भीड़ को तितर-बितर करने के लिए तालिबान ने चलाई गोलियां

काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शनों ने जोर पकड़ लिया है। दरअसल अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में आने के लिए मदद करने के खिलाफ पाकिस्तान के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क रहा है। इस बीच काबुल में पाकिस्तान विरोधी रैली हुई जिसमें बड़ी संख्या में लोग उमड़े। भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। टोलो न्यूज के मुताबिक प्रदर्शनकारी इस दौरान हाथों पर तख्तियां लिए नारे लगा रहे थे- 'पाकिस्तान- पाकिस्तान, छोड़ दो अफगानिस्तान।' प्रदर्शनकारी काबुल के सेरेना होटल की ओर मार्च कर रहे थे, जहां पाकिस्तानी ISI चीफ रह रहे हैं।

पंजशीर पर कब्जे का दावा

 आपको बता दें कि अफगानिस्तान की सड़कों पर लगातार पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। इससे पहले पंजशीर में भी पाक विरोधी प्रदर्शन हुए थे। वहीं तालिबान ने अपने विरोधियों के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर को नियंत्रण में लेने का दावा किया है। सुरक्षा कारणों से पहचान गोपनीय रखते हुए चश्मदीदों ने बताया कि हजारों की संख्या में तालिबान लड़ाकों ने पूरी रात कार्रवाई कर पंजशीर के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया।

आईएसआई चीफ ने की मुल्ला बरादर से मुलाकात
तालिबान ने सोमवार को पुष्टि की कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने उसके नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की। अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सरकार बनाने की कोशिशों के बीच हमीद ने बरादर से मुलाकात की है। इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हमीद पिछले हफ्ते अचानक काबुल पहुंचे और अगस्त मध्य में काबुल की राजधानी पर तालिबान के कब्जा करने के बाद वह अफगानिस्तान पहुंचने वाले एक मात्र उच्च पदस्थ विदेशी अधिकारी हैं।