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Afghanistan Minerals: खरबों के खजाने पर बैठा तालिबान, आखिर वैश्विक स्तर पर क्यों है चिंता

Updated Aug 19, 2021 | 07:56 IST

afghanistan minerals value: अफगानिस्तान पर तालिबानी राज के बाद उसके हाथ एक ऐसा खजाना लगा है जिससे दुनिया का चिंतित होना स्वाभाविक है।

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खरबों के खजाने पर बैठा तालिबान, आखिर वैश्विक स्तर पर क्यों है चिंता
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में खनिज संपदा की कुल कीमत एक ट्रिलियन डॉलर के करीब
  • सोना चांदी, लिथियम का अकूत भंडार
  • वैश्विक स्तर पर लिथियम की डिमांड सबसे ज्यादा

afghanistan minerals worth: अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा है। अफगानिस्तान पर तालिबानी राज के लिए कौन जिम्मेदार है, इसे लेकर वैश्विक स्तर पर बहस का दौर भी जारी है। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान का आना वैश्विक शांति और प्रगति के लिए खतरनाक है। जानकार कहते हैं कि तालिबान ने अगर शक्ति के बल पर या तत्कालीन अफगान सरकार की नाकाबिलियत की वजह से सत्ता में आया है तो आने वाला समय शुभ नहीं होगा। राजनीतिक सत्ता पर तालिबानी कब्जे के बाद स्वाभाविक तौर पर अफगानिस्तान की खनिज संपदा पर अब तालिबान का राज होगा। अफगानिस्तान के खनिज संसाधन जिसका फायदा खुद उसे और पूरी दुनिया को मिलता अब उस पर एक तरह से तालिबानी नजर लग गई है।

खनिज संपदा के मामले में अफगानिस्तान समृद्ध
अफगानिस्तान, दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। लेकिन 2010 में अमेरिकी सेना के अधिकारी और भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक अफगानी जमीन और जमीन के नीचे करीह एक ट्रिलियन डॉलर का खजाना खनिजों के रूप में है, अगर उसका समुचित दोहन हो तो ना केवल अफगानिस्तान, दुनिया का समृद्ध मुल्क बन सकता है बल्कि वैश्विक प्रगति में अहम भूमिका अदा कर सकता है। 
अफगानिस्तान के करीब करीब सभी प्रांतों में लोहा, कॉपर, और सोना बिखरा पड़ा है। इसके साथ ही रेयरेस्ट मिनरल्स की खानें भी हैं खास तौर से लिथियम। 

अफगानिस्तान में खनिज संपदा

लोहा

कॉपर

सोना

लिथियम

तालिबान की वजह से माइनिंग में परेशानी
अफगानिस्तान निश्चित रूप से पारंपरिक कीमती धातुओं में सबसे अमीर क्षेत्रों में से एक है, लेकिन 21 वीं सदी की उभरती अर्थव्यवस्था के लिए धातु [आवश्यक] भी है।  वैज्ञानिक और सुरक्षा विशेषज्ञ रॉड शूनोवर ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों, बुनियादी ढांचे की कमी और गंभीर सूखे ने अतीत में सबसे मूल्यवान खनिजों का दोहन नहीं हो सका है। तालिबान के नियंत्रण में यह जल्द ही बदलने की संभावना नहीं है। फिर भी, चीन, पाकिस्तान और भारत सहित देशों की दिलचस्पी है, जो अराजकता के बावजूद शामिल होने का प्रयास कर सकते हैं।