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Afghanistan में एक-एक के बाद एक शहर पर Taliban का कब्‍जा, आखिर क्‍या है तालिबान की कमाई का जरिया?

Updated Aug 15, 2021 | 11:06 IST

अफगानिस्‍तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर इसे धन और हथियार कहां से मिल रहा है। इस संबंध में फोर्ब्‍स, नाटो ने भी एक समय में कुछ आकलन किया था। जानिये क्‍या कहती है रिपोर्ट?

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तस्वीर साभार:&nbspAP
अफगानिस्‍तान में तालिबान तेजी से पांव पसार रहा है
मुख्य बातें
  • अफगानिस्‍तान में तालिबान लगातार पांव पसार रहा है
  • वह राजधानी काबुल से महज कुछ किमी दूर रह गया है
  • इसकी आय का मुख्‍य जरिया मादक पदार्थों की तस्‍करी है

काबुल : अफगानिस्‍तान में तालिबान एक के बाद एक कई प्रांतों और शहरों पर कब्‍जा करता जा रहा है। वह राजधानी काबुल से महज कुछ ही किलोमीटर दूर रह गया है। इन सबके बीच सवाल लगातार उठ रहे हैं कि आखिर तालिबान को अपनी हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हथियार और धन कहां से मिल रहा है।

इस संबंध में फोर्ब्‍स ने साल 2016 में एक लिस्‍ट जारी की थी, जिसके मुताबिक तालिबान को उन 10 आतंकी संगठनों में से पांचवें सबसे अमीर आतंकी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था। उस समय 2 अरब अमेरिकी डॉलर के कारोबार के साथ इस्‍लामिक स्‍टेट (ISIS) जहां टॉप पर था, वहीं 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर के कारोबार के साथ तालिबान पांचवें नंबर पर था।

क्‍या है तालिबान की आय का जरिया?

फोर्ब्स के अनुसार, तालिबान की कमाई का मुख्‍य जरिया मादक पदार्थों की तस्करी, जबरन वसूली, अनुदान के रूप में मिलने वाली रकम थी। यह स्थिति 2016 की है, जब अफगानिस्‍तान में तालिबान बहुत मजबूत स्थिति में नहीं था। ऐसे में आज के हालात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

इस संबंध में नाटो की भी एक रिपोर्ट आई है, जिसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान तालिबान का वार्षिक बजट 1.6 अरब डॉलर था, जो फोर्ब्‍स के 2016 के आंकड़ों के मुकाबले बीते चार वर्षों में 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी।

यूं बढ़ता रहा तालिबान का कारोबार

रिपोर्ट्स के मुताबिक, समय के साथ तालिबान विदेशी अनुदान पर अपनी निर्भरता कम करता जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2017-18 में जहां इसे विदेशी स्रोतों से लगभग 50 करोड़ डॉलर की वित्‍तीय मदद मिली, वहीं 2020 में विदेशी स्रोतों से इसकी आय में 15 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई।

वहीं, उस साल अफगानिस्‍तान का आधिकारिक बजट 5.5 अरब अमेरिकी डॉलर का था, जिनमें से 2 प्रतिशत से भी कम रक्षा खर्च के लिए आवंटित किया गया था। हालांकि 'तालिबान को अफगानिस्तान परियोजना से बाहर रखने' के लिए अमेरिका ने बड़े पैमाने पर वित्त पोषण का जिम्‍मा लिया था।

अफगानिस्‍तान चुका रहा है बड़ी कीमत

जो अमेरिका आज अफगानिस्तान छोड़ने और अपने सैनिकों को यहां से बाहर निकलने की जल्दी में है, उसने बीते 19 से भी अधिक वर्षों में यहां 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किया। यह रकम या तो सीधे तालिबान से लड़ने में या अफगान बलों को तालिबान से लड़ने में प्रशिक्षण के लिए खर्च की गई।

अब ऐसा लग रहा है कि तालिबान का अफगानिस्‍तान में एक बेहतर कारोबार है और यह‍ दिन-प्रतिदिन बेहतर हो रहा है। अमेरिका के अफगानिस्‍तान से जाने और ताल‍िबान के बढ़ते प्रभाव के बीच इसके कारोबार में और बढ़ोतरी का अनुमान है, जिसकी बड़ी कीमत अफगानिस्‍तान को चुकानी पड़ रही है।