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Taliban Rule in Afghanistan: तालिबानी आतंक के वो सौदागर जिनका अब अफगानिस्तान पर राज है

Updated Aug 17, 2021 | 10:48 IST

अफगानिस्तान पर अब तालिबान राज स्थापित हो चुका है। यहां पर हम तालिबान के उन 6 नेताओं के बारे में जानकारी देंगे जिन्होंने 20 साल बाद एक बार फिर सत्ता को अपने कब्जे में कर लिया।

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तालिबानी आतंक के वो सौदागर जिनका अब अफगानिस्तान पर राज है
मुख्य बातें
  • तलिबान ने आसानी से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया
  • मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथ में फिलहाल कमान
  • सिराजुद्दीन हक्कानी, हिबतुल्लाह अखुंदजादा, मुल्ला याकुब दूसरे नाम

करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान पर तालिबान का राज था और आज 20 साल बाद एक बार फिर अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा है। अफगानिस्तान पर जिस तरह से तालिबान ने बिना खून खराबे के कब्जा कर लिया वो तरह तरह के सवालों को जन्म देता है। इस सवाल के जवाब को जानने से पहले तालिबान के उन 6 नेताओं के बारे में जानना और समझना जरूरी है जिन्होंने अशरफ गनी सरकार को भागने के लिए मजबूर कर दिया। पूरा विश्व समाज डरा हुआ है कि अफगानिस्तान एक बार फिर मध्ययुगीन समाज की तरफ बढ़ रहा है, ये बात अलग है कि तालिबान नेता भरोसा दे रहा हैं कि जो कुछ पहले हुआ था अब नहीं होगा। ये तो आने वाला समय गवाही देगा। लेकिन उन चेहरों के बारे में बताएंगे जिनकी सोच आधुनिक विचार से कुछ अलग है और जिनकी अगुवाई को आतंक के राज से जानते हैं। 

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
मुल्ला उमर के मारे जाने के बाद तालिबान की कमान मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथ में आई। वो तालिबान के संस्थापक सदस्यों में से एक है। 1990 के दशक में इसने मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान को खड़ा किया। खास तौर इसकी पूरी जवानी कंधार में गुजरी। कंधार वो जगह है जहां तालिबान फला और फूला। दरअसल 1970 में जब सोवियत सेना ने तालिबान के खिलाफ जंग छेड़ा तो बरादर ने भी हथियार उठा लिया और उसने आतंक की जो नर्सरी बनाई उसमें अफगानी युवाओं का ब्रेन वॉश शुरू हुआ।

हिबतुल्लाह अखुंदजादा
इस समय तालिबान की कमान हिबतुल्लाह अखुंदजादा के पास है। 2016 की बात है अमेरिकी ड्रोन हमले में मुल्ला मंसूर अख्तर मारा गया और उसके बाद तालिबान की बागडोर अखुंदजादा के हाथ में आई। यह मजहबी नेता था। लेकिन कमान संभाले के बाद इसने बेजोड़ राजनीतिक रणनीतिक कौशल का परिचय दिया। एक तरह से नेतृत्व दिया। अमेरिकी हमलों की वजह से पस्त हो चुके तालिबानी लड़ाकों को होसला दिया। खास बात यह थी कि मुल्ला उमर की मौत को लेकर कई तरह की खबरें थीं। इसे लेकर तालिबानी कई धड़ों में बंटे।लेकिन अखुंदजादा ने अपने कौशल से तालिबानियों को एक किया और अफगानी सेना के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया और उसका असर भी दिखाई दिया।

सिराजुद्दीन हक्कानी
यह तालिबान का उप कमांडर है और हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है। पिछले 20 वर्ष से यह अमेरिकी और नेटो सेना को निशाना बनाते आया है। इसकी खास यूएसपी फिदाइन हमालों की थी। इसके पिता जलालुद्दीन हक्कावी सोवियत सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख कमांडर थे। इसका मकसद किसी तरह अफगानी सत्ता पर कब्जा करना था और अपने मकसद को कामयाब करने के लिए इसने कई अफगानी नेताओं की हत्या तक करवाई। 

मुल्ला याकुब
मुल्ला याकुब, एक आंख वाले मुल्ला उमर का बेटा है,  यह तालिबान के मिलिट्री कमीशन का मुखिया है, इसके नीचे कई कमांडर हैं, यह खासतौर से रणनीतिक हमलों को अंजाम देने का तानाबाना बूनता था और अंजाम तक पहुंचाता था। मुल्ला उमर का बेटा होने की वजह से इसे सामान्य तौर ज्यादा इज्जत हासिल है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह तालिबानियों के कई धड़ों को एक साथ करने में कामयाबी हासिल की। लेकिन कुछ लोग यह भी मानते हैं कि तालिबान में इसका होना महज दिखावा है।