- भारत यूक्रेन से नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा चला रहा है
- यूक्रेन से 18000 भारतीय नागरिक निकल चुके हैं
- 6400 नागरिक भारत पहुंच चुके हैं
यूक्रेन में संकट दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इस बीच उत्तरपूर्वी शहर सुमी में फंसे छात्रों ने मदद की अपील की है। उम्मीद है कि कीव और खारकीव जैसी मुश्किल स्थिति का सामना करने से पहले उन्हें निकाला जाएगा। गौरतलब है कि सूमी रूस की सीमा के पास है। पश्चिमी दिल्ली के मुंडका के एक एमबीबीएस छात्र ने गुरुवार को Times Now को अपनी आपबीती बताई। कपिल सिंह यूक्रेन के सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी के करीब 700-800 छात्रों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि वह 15 मार्च से पहले नहीं जा सकते थे क्योंकि विश्वविद्यालय में एक परीक्षा होनी है। विश्वविद्यालय ने जोर देकर कहा कि छात्रों को निकलना नहीं चाहिए। कपिल के मुताबिक यूनिवर्सिटी ने 24 फरवरी से 27 फरवरी तक ऑनलाइन क्लासेज आयोजित की थीं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में 700-800 भारतीय छात्र विश्वविद्यालय के छात्रावासों में फंसे हुए हैं। इसके अलावा, कजाकिस्तान, नाइजीरिया और अन्य देशों के छात्र भी हैं। कुछ मामलों में सात छात्र एक कमरे में रहने को मजबू हैं जबकि उनमें केवल 3 ही रह सकते हैं। उनके खाने का स्टॉक खत्म हो गया है। एमबीबीएस के छात्र ने कहा कि उनके पास पानी की बोतल नहीं है, इसलिए वे अब नल का पानी पी रहे हैं।
इसके अलावा, कपिल ने कहा कि सुबह लगभग 7:30 बजे बम विस्फोटों से छात्र जाग जाते हैं, जिससे वे चिंतित और भयभीत हो जाते हैं। उन्होंने टाइम्स नाउ को आगे बताया कि जब कोई बमबारी होती है, तो एक अलार्म बजता है, जो छात्रों और अन्य लोगों को बंकरों में सुरक्षा की तलाश करने के लिए सचेत करता है। इस स्थिति से न केवल भारतीय छात्र घबराए हुए हैं बल्कि उनके परिवार भी अपडेट के लिए टेलीविजन और इंटरनेट से चिपके हुए हैं। कपिल ने कहा कि विश्वविद्यालय में फंसे छात्रों के माता-पिता ने उन्हें हर घंटे एक मैसेज छोड़ने के लिए कहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षित हैं।
18000 भारतीयों ने छोड़ा यूक्रेन, 6400 पहुंचे स्वदेश, कुछ छात्र अभी भी खारकीव में: विदेश मंत्रालय
साथ ही उन्होंने कहा कि हर रात नौ बजे बिजली कट जाती है और सुबह करीब चार बजे आती है। अलार्म बजने पर बिजली भी चली जाती है। बंकरों में जाने के लिए छात्र फोन की लाइट का इस्तेमाल करते हैं। कपिल ने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द निकालने का आग्रह करते हुए कहा कि पोलैंड सूमी से 1000 किलोमीटर दूर है, जिससे उनके लिए वहां पहुंचना लगभग असंभव हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें कहा जाता है कि हमें घबराना नहीं चाहिए, लेकिन बम विस्फोट और गोलियों से हम घबराए नहीं, तो और क्या होगा? उसने कहा कि वह सिर्फ ऐसे क्षेत्र में रहना चाहता है जहां कोई गोलियों या बम की आवाज न हो।