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UN on terrorism: 'जैश और लश्कर मिलकर अफगानिस्तान को करना चाहते हैं तबाह, पाकिस्तान की है शह'

Updated Jun 03, 2020 | 00:52 IST

Terrorism in Afghanistan: संयुक्त राष्ट्र संघ ने आगाह किया है कि जैश और लश्कर मिलकर अफगानिस्तान को एक बार फिर अशांति की राह पर ले जाने की फिराक में हैं।

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जैश और लश्कर ने मिलाए हाथ
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में जैश और लश्कर मिल कर नापाक मंसूबों को बना रहे हैं कामयाब
  • इन दोनों आतंकी संगठनों को है पाकिस्तान की शह
  • इस तरह का समीकरण भारत के हित में नहीं

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा विस्फोटक बनाने में सक्षम और प्रशिक्षित लड़ाके अफगानिस्तान भेज रहे हैं ताकि वहां चल रही शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारा जा सके। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भारत के इस दावे को पुख्ता करती है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का गढ़ है।

खतरनाक आतंकी संगठन हैं जैश और लश्कर
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा भारत में 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले और 2019 में पुलवामा हमले समेत कई हमलों को अंजाम दे चुके हैं।
सुरक्षा परिषद को सौंपी गई आईएसआईएस, अल-कायदा और संबंधित व्यक्तियों व संस्थाओं से संबंधित विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के मुताबिक अफगान अधिकारियों ने बताया कि कई समूह अफगानिस्तान में सुरक्षा के सामने खतरा पैदा कर रहे हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षा खतरा पैदा कर रहे समूहों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जैश और लश्कर शामिल हैं।



पाक है आतंकवाद का केंद्र
नयी दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भारत के इस दावे को पुख्ता करती है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का गढ़ है। मंत्रालय ने कहा कि आतंकवादी और आतंकी संगठन पाकिस्तान में सुरक्षित ठिकानों का आनंद ले रहे हैं।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ''इससे भारत द्वारा लंबे समय से किये जा रहे दावे को बल मिलाता है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केन्द्र रहा है।'उन्होंने कहा, ''वे इस क्षेत्र और दुनिया के विभिन्न भागों में हिंसा भड़काते और आतंकवाद फैलाते हैं। पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम लगाने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स सहित अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है।