- 15-16 जून गलवान हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव
- 15-16 जून की रात चीनी सैनिकों के साथ हुई थी हिंसक झड़प
- भारत और चीन के बीच कई दौर की हो चुकी है वार्ता, अभी भी तनाव बरकरार
नई दिल्ली। 15-16 जून की रात लद्दाख के पूर्वी सेक्टर के गलवान में क्या कुछ हुआ था दुनिया वाकिफ है। पीएलए के सैनिकों ने इलाके में गश्त कर रहे है भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला किया और उस भिड़ंत में 20 जवान शहीद हो गए जिसमें एक कमांडिंग अफसर भी थे, हालांकि उस घटना में चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचा। चीन की तरफ से नकारात्मक बयान आता रहा कि उसने कुछ किया ही नहीं।लेकिन एक शीर्ष अमेरिकी पैनेल का कहना है कि गलवान की घटना चीनी सरकार की योजना थी।
यूएस पैनल का सनसनीखेज दावा
यूनाइटेड स्टेट्स-चीन इकोनॉमिक और सेक्यूरिटी रिव्यू कमीशन का कहना है कि कुछ साक्ष्य साफ साफ इशारा करते हैं कि चीनी सरकार ने गलवाव के लिए योजना बनाई जिसमें वो खुद बड़े नुकसान का आंकलन कर चुकी थी।पैनल का कहना है कि गलवान की घटना से कुछ हफ्तों पहले चीन के रक्षा मंत्री वी ने कहा था कि स्थायित्व को बनाए रखने के लिए लड़ाई जरूरी है, हमें समय समय पर बल का इस्तेमाल करना होगा।
ग्लोबल टाइम्स का दिया हवाला
गलवान घटना से महज दो हफ्ते पहले चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स में जो कुछ छपा उससे संकेत साफ थे कि चीन की मंशा क्या है, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अगर अमेरिका और चीन के व्यापारिक रिश्ते में भारत आता है तो उसे गंभीर खामियाजा भुगतना होगा। सैटेलाइट तस्वीरों से भी साफ है कि गलवान में खूनी झड़प से पहले किस तरह से पीएलए ने अस्थाई ढांचे के साथ साथ 1000 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती की थी। पैनल का यह भी कहना है कि वैसे सीमा पर चीन और भारत बीच आपसी झड़प होती रही है। लेकिन 2012 में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद अब तक पांच बार बड़ी झड़पें हुईं हैं।