- अमेरिका, सऊदी अरब में 3,000 सैनिकों की बहाली करने वाला है
- अमेरिका के इस ऐलान से क्षेत्र में ईरान के साथ तनाव बढ़ सकता है
- अमेरिका ने कहा है कि इससे सऊदी अरब की रक्षात्मक क्षमता बढ़ेगी
वाशिंगटन : सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर बीते माह हुए ड्रोन हमलों के बाद अमेरिका ने वहां अतिरिक्त 3,000 सैनिकों को तैनात करने का ऐलान किया है। अमेरिका के इस फैसले के बाद ईरान से टकराव बढ़ने के आसार हैं, जिसके साथ अमेरिका और सऊदी अरब के पहले से ही खराब संबंध हैं। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के दो संयंत्रों पर सितंबर में हुए हमलों के लिए अमेरिका ने ईरान को जिम्मेदार ठहराया है।
इन हमलों की जिम्मेदारी हालांकि यमन के हौती विद्रोहियों ने ली है, लेकिन अमेरिका और सऊदी अरब का मानना है कि हौती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है। सऊदी संयंत्रों पर सितंबर में हुए हमले के बाद शुक्रवार को सऊदी अरब के तट के पास एक ईरानी तेल टैंकर में विस्फोट हुआ। ईरान की तेल कंपनी का कहना है कि जेद्दाह बंदरगाह के करीब टैंकर पोत पर मिसाइल से दो बार हमले किए गए।
पहले सऊदी संयंत्रों पर मिसाइल हमले और फिर ईरानी टैंकर में विस्फोट के बाद जहां तेल आपूर्ति को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, वहीं अमेरिका ने अब सऊदी अरब में अतिरिक्त 3,000 सैनिकों की तैनाती का ऐलान किया है। अमेरिका की ओर से कहा गया है कि सऊदी अरब के तेल संयत्रों पर ड्रोन हमलों के कारण 'खतरे की बढ़ती आशंका' को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा कि इससे सऊदी अरब की रक्षात्मक क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी और ईरान की ओर से हमले की किसी भी स्थिति से निपटा जा सकेगा। अमेरिका, सऊदी अरब में अतिरिक्त बलों के साथ-साथ सैन्य उपकरणों की तैनाती भी कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने ईरान को चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि अपना बर्ताव बदलना चाहिए और अपनी 'बर्बाद अर्थव्यवस्था' पर ध्यान देना चाहिए।