नई दिल्ली : बात जब लोकतंत्र की होती है तो इसमें आधी आबादी की भूमिका को दरकिनार नहीं किया जा सकता। लेकिन महिलाओं के प्रति कमोवेश एक जैसी सोच हर समाज में रही है, जिसके कारण उन्हें उनके अधिकार आसानी से कभी नहीं मिले। लंबे संघर्ष और जद्दोजहद के बाद उन्हें अधिकार मिले, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में बेहद महत्वपूर्ण मतदान का अधिकार भी शामिल है।
यूरोप के कई देशों और अमेरिका, रूस जैसे देशों को वर्षों से विकसित देशों की श्रेणी में रखा जाता है। जो तस्वीरें हमारे सामने आती हैं, वे वहां महिला पुरुष अधिकारों को लेकर बराबरी को दर्शाती हैं, पर कई मायनों में हकीकत बिल्कुल जुदा होती है। यह बात वोटिंग के अधिकार पर भी लागू होती है। जिस देश को दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के तौर पर जाना जाता है, वहां महिलाओं को वोटिंग का अधिकार कब मिला, यह वास्तव में हैरान करता है।
महिलाओं को मताधिकार देने में पीछे रहा अमेरिका
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के रूप में आज अमेरिका की गिनती होती है, जिसे 'वर्ल्ड सुपरपावर' के तौर पर देखा जाता है। एक स्वतंत्र एवं संप्रभु देश के तौर पर अमेरिका को आजादी 4 जुलाई 1776 को मिल गई थी, लेकिन यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं की हिस्सेदारी किस तरह की रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 20 जनवरी, 2021 को यहां उपराष्ट्रपति का पद संभालने वाली कमला हैरिस इस पद पर पहली महिला हैं, जबकि राष्ट्रपति के पद पर अब तक कोई महिला अपनी पहुंच नहीं बना पाई है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर भी अमेरिका दुनिया के कई अन्य देशों के मुकाबले काफी पीछे रहा है। यहां महिलाओं को चुनाव में वोटिंग का अधिकार 1920 में दिया गया था, जबकि इसम मामले में न्यूजीलैंड सबसे आगे रहा, जहां महिलाओं को 1893 में ही मतदान का अधिकार मिल गया था। महिलाओं को लेकर समाज में व्याप्त इस तरह की रूढ़िवादी सोच का असर ब्रिटेन तक में था, जिसने औपनिवेशिक काल में दुनिया के कई देशों पर राज किया और जहां के लोग खुद को 'सभ्य' बताते रहे। ब्रिटेन में महिलाओं को मतदान का अधिकार अमेरिका से दो साल पहले 1918 में दिया गया था।
कई देश रहे अमेरिका से आगे तो कुछ पीछे भी रहे
महिलाओं को मतदान का अधिकार देने के मामले में फिनलैंड, आइसलैंड, स्वीडन जैसे कई देश अमेरिका से आगे रहे, 19वीं सदी के अंत में ही महिलाओं को मतदान के सीमित अधिकार दे दिए गए थे। दुनिया के कुछ अन्य बड़े देशों की बात करें तो रूस में 1917 की क्रांति के बाद महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिया गया। रूस की इस ऐतिहासिक क्रांति में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। जर्मनी में 1918 में महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया तो फ्रांस में महिलाओं का यह अधिकार 1944 में हासिल हुआ।
इस मामले में सऊदी अरब को और भी पीछे रखा जा सकता है, जहां महिलाओं को पहली बार वोटिंग के अधिकार 2015 में मिले। सऊदी अरब में उस साल महिलाओं ने पहली बार नगरपालिका चुनावों में वोट डाला था और वे उम्मीदवार भी बनी थीं। जहां तक भारत की बात है, यहां 1947 में ब्रिटिश उपनिवेश से आजादी के बाद जब देश का संविधान बना तो उसमें महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिया गया और वह भी बराबरी के साथ।