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हर वर्ष 70 लाख लोगों की सिर्फ इस वजह से जा रही है जान, WHO ने किया आगाह

Updated Sep 23, 2021 | 09:33 IST

WHO Air Quality Guidelines:इंसानी वजूद पर कई तरह के खतरे मंडरा रहे हैं उनमें से वायु प्रदूषण भी है। वायु प्रदूषण के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताने के साथ सख्त गाइडलाइंस की वकालत की है।

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हर साल 7 मिलियन लोग इस वजह से गंवा रहे हैं जान,WHO ने चेताया
मुख्य बातें
  • वायु प्रदूषण की वजह से वैश्विक स्तर पर हर वर्ष करीब 70 लाख लोगों की मौत
  • वायु प्रदूषण रोकने के लिए और सख्त गाइडलाइंस की जरूरत- WHO
  • प्रदूषण के 6 तत्वों, पीएम 2.5, पीएम 10, SO2, CO, NO2, O3 पर लगाम लगाने की जरूरत

WHO Air Quality Guidelines: स्वच्छ हवा हर  एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। लेकिन स्वच्छ हवा बनाए रखने की जिम्मेदारी मौलिक कर्तव्य भी है। इन सबके बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में जिक्र है कि वायु प्रदूषण की वजह से हर वर्ष वैश्विक स्तर पर करीब 70 लाख लोगों की मौत हो रही है और इसे रोकने के लिए और सख्त गाइडलाइंस ना सिर्फ बनाने की जरूरत है बल्कि उसे अमल में भी लाया जाना चाहिए। इसके लिए खास तौर पर हमें ऐसे उद्योगों को विकसित करने की आवश्यकता है जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कणों के उत्सर्जन पर रोक लगा सकें। 

संशोधित गाइडलाइंस पर भारत कर रहा है काम
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रदूषण के लिए जिम्मेदार 6 मुख्य कणों को लेकर संशोधित गाइडलाइंस भी जारी की। खास तौर से पीएम 2.5,पीएम 10 को लेकर गाइडलाइंस को और सख्त किए जाने की वकालत की गई है। अगर बात भारत की करें तो साल 2009 में एयक क्वालिटी इंडेक्स पर काम किया था और इस समय संशोधित गाइडलाइंस पर काम किया जा रहा है जिसके अगले साल तक जारी किए जाने की उम्मीद है।

इन 6 प्रदूषिक कणों से खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पीएम 2.5, पीएम 10, ओजोन, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड की लगातार चपेट में आने की वजह से करीब 70 लाख लोग जान गंवा रहे हैं। 

भारत में एयर क्वॉलिटी मानक
PM 2.5, एनुअल मीन- 40, 24 घंटे में 60
PM 10, एनुअल मीन- 60, 24 घंटे में 100
NO2, एनुअल मीन- 40, 24 घंटे में 80
SO2, एनुअल मीन- 50, 24 घंटे में 80

विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्या है कहना
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी टेड्रोस अधनाम गेब्रियसस ने कहा कि वो वैश्विक समाज और सरकार से अनुरोध करते हैं कि इन प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन के लिए जो गाइडलाइंस बनाई गई हैं उसका पालन करें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मानवता खतरे में पड़ जाएदी। विश्व स्वास्थ्य संगठव का कहना है कि 80 फीसद मौतों के लिए पीएम 2.5 जिम्मेदार है। इसके लिए जरूरी है कि इस तरह की गाइडलाइंस बने ताकि वार्षिक मीन उत्सर्जन के न्यूनतम स्तर को हासिल किया जा सके।