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खुद को 'अपराजेय' ना समझें युवा, दूसरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये बचाव उपाय अपनाने होंगे- WHO

WHO Says Young people ‘not invincible’ in COVID-19 pandemic
Updated Jul 31, 2020 | 21:03 IST

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि अब कोरोना के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि लोगों ने अब सतर्कता में ढील बरतनी शुरू कर दी है।

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WHO Says Young people ‘not invincible’ in COVID-19 pandemicWHO Says Young people ‘not invincible’ in COVID-19 pandemic
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा- खुद को 'अपराजेय' ना समझें युवा
मुख्य बातें
  • ख़ुद व दूसरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये बचाव उपाय अपनाने होंगे- डब्ल्यूएचओ
  • स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर घेबरेयेसस बोले- स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी का होना अहम है
  • राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई में वृद्धजन देखभाल केन्द्रों की हो देखभाल- WHO

संयुक्त राष्ट्र: वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण से गम्भीर रूप से पीड़ित होने का ख़तरा वृद्धजनों को सबसे अधिक है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने युवा पीढ़ी को आगाह किया है कि इस महामारी से उन्हें भी पूरी तरह सचेत रहना होगा। कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक एक करोड़, 68 लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और छह लाख, 62 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने गुरुवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि तथ्य दर्शाते हैं कि कुछ देशों में अब संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी इसलिये देखी जा रही है क्योंकि गर्मियों में युवाओं ने सतर्कता में ढील बरतनी शुरू कर दी है।

यूएन महानिदेशक ने कही ये बात
'हमने यह पहले भी कहा है, और फिर कहेंगे: युवा अपराजेय नहीं हैं।' “युवा संक्रमित हो सकते हैं; युवाओं की मौत हो सकती है; और युवा ये वायरस दूसरों तक फैला सकते हैं।' महानिदेशक घेबरेयेसस ने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान युवाओं को नेतृत्व करते हुए बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक हर जगह लोगों को इस वायरस के साथ जीना सीखना होगा और ख़ुद व दूसरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये बचाव उपाय अपनाने होंगे – उनके लिये भी जिन्हें इस वायरस से गम्भीर रूप से बीमार होने का ख़तरा सबसे ज़्यादा है। इनमें बुज़ुर्ग और देखभाल केन्द्रों में इलाज करा रहे वृद्धजन हैं।

सुझाए गए उपाय
बहुत से देशों द्वारा पेश आँकड़े दर्शाते हैं कि कोविड-19 से होने वाली कुल मौतों में 40 फ़ीसदी दीर्घकालीन स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों से जुड़ी हुई हैं और 80 फ़ीसदी कुछ उच्च आय वाले देशों में हैं। जवाबी कार्रवाई के तहत यूएन एजेंसी ने एक नीतिपत्र जारी किया है जिसमें इन केन्द्रों पर कोविड-19 की रोकथाम व प्रबन्धन के उपाय सुझाए गए हैं। इस योजना में महामारी के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई में वृद्धजन देखभाल केन्द्रों के लिये उपाय समाहित करने का ज़िक्र है। साथ ही इस नीतिपत्र में उन क़दमों का भी उल्लेख है जिनके ज़रिये इन सेवा केन्द्रों पर बुज़ुर्गों को उनके अधिकारों, आज़ादी व गरिमा का सम्मान करते हुए देखरेख सुनिश्चित की जा सकती है।


मानव व्यवहार की परख 

मनोविज्ञान, मानव-जाति विज्ञान (Anthropology), तन्त्रिका विज्ञान (Neuroscience) और स्वास्थ्य से जुड़े 22 अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का एक समूह यह समझने में यूएन एजेंसी की मदद करेगा कि लोग अपने स्वास्थ्य-कल्याण के लिये किस प्रकार से निर्णय लेते हैं, जैसे कि किसी महामारी के दौरान भी। इस क्रम में एक नया तकनीकी परामर्श समूह बनाया गया है जिसकी घोषणा गुरुवार को प्रैस वार्ता के दौरान की गई। स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख घेबरेयेसस ने बताया कि स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी का होना अहम है लेकिन लोग संस्कृतिक, आस्था, आर्थिक हालात और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों के आधार पर अपने रोज़मर्रा के जीवन में फ़ैसले करते हैं। 

दिशा-निर्देश

'कोविड-19 महामारी को देखते हुए विभिन्न देश लोगों के व्यवहारों को प्रभावित करने के लिये विविध प्रकार के औज़ारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जानकारी साझा करने के लिये अभियान चलाया जाना एक साधन है लेकिन इसी तरह क़ानून, नियमन, दिशानिर्देश और आर्थिक दण्ड भी हैं।' उन्होंने कहा कि इसीलिये व्यवहार विज्ञान बेहद अहम है क्योंकि इससे यह समझने में मदद मिलती है कि लोग अपने फ़ैसले किस तरह करते हैं ताकि हम स्वास्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ निर्णय लेने में उनकी मदद कर सकें। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने विश्व भर में मुसलमानों को ईद अल अज़हा के त्योहार पर शुभकामनाएँ दी हैं।


साथ ही उन्होंने हज यात्रा को सुरक्षित बनाने के हरसम्भव प्रयासों के लिये सऊदी अरब की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ये ऐहतियाती उपाय हमें ध्यान दिलाते हैं कि नए हालात में अभ्यस्त होने के लिये देश किस तरह से उपाय लागू कर सकते हैं। महानिदेशक घेबरेयेसस ने स्पष्ट किया कि यह काम आसान नहीं है लेकिन इसे किया जा सकता है. महामारी का मतलब यह नहीं है कि जीवन रुक गया है।