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S Jaishankar: अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत बनाने से भारत क्यों हिचकता रहा, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया

Updated Sep 21, 2022 | 22:14 IST

S Jaishankar : संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में शामिल होने न्यूयॉर्क पहुंचे जयशंकर ने बुधवार को यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्मीहल से मुलाकात की और उन्हें सभी तरह की शत्रुता खत्म करने तथा संवाद व कूटनीति की ओर वापस लौटने के भारत के सैद्धांतिक रुख से अवगत कराया।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कई मुद्दों पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर।
मुख्य बातें
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा की सलाना बैठक में शामिल होने न्यूयॉर्क पहुंचे हैं जयशंकर
  • बुधवार को उन्होंने कई देशों के नेताओं के साथ मुलाकात और मुद्दों पर बातचीत की
  • अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर भी विदेश मंत्री ने खुलकर अपनी बात रखी

S Jaishankar : अमेरिका को लेकर पहले भारत में तरह-तरह की बातें हुआ करती थीं, इन चीजों से बाहर निकलने एवं मौजूदा दौर के संबंध विकसित करने में दोनों देशों ने काफी प्रयास किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बात न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कही। जयशंकर ने कहा कि भारत  करीब 50 वर्षों तक अमेरिका को संदेह की दृष्टि से देखता रहा। अमेरिका की तरफ से साफ तौर पर हमें लाभ जैसी स्थिति पेश की गई फिर भी हम 2008 के असैन्य परमाणु डील पर आगे बढ़ने से हिचक रहे थे। इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका के प्रति वर्षों से चली आ रही की भावना थी। इसके चलते भारत अमेरिका के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने से खुद को रोकता रहा। 

यूक्रेन के प्रधानमंत्री से की मुलाकात
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में शामिल होने न्यूयॉर्क पहुंचे जयशंकर ने बुधवार को यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्मीहल से मुलाकात की और उन्हें सभी तरह की शत्रुता खत्म करने तथा संवाद व कूटनीति की ओर वापस लौटने के भारत के सैद्धांतिक रुख से अवगत कराया। जयशंकर ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय सत्र से इतर श्मीहल से मुलाकात की। इससे कुछ ही घंटे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तीन लाख आरक्षित सैनिकों की आंशिक तैनाती की घोषणा की। उन्होंने इसे रूस की संप्रभुता की रक्षा के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि पश्चिमी देश रूस के कमजोर, विभाजित और बर्बाद करना चाहते हैं।

चीन की तरक्की पर बोले जयशंकर
चीन की तरक्की पर विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया में जो सबसे बड़ी चीजें हुई हैं उसमें चीन ने जिस तरह से आगे बढ़ा है, वह देखने वाली बात है। वह बहुत ही नाटकीय ढंग से उभरा है। एशिया में एक दूसरे को साथ लेकर चलना सभी के हित में है क्योंकि दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इसी क्षेत्र से हैं। 

तुर्किये के विदेश मंत्री से भी मिले
जयशंकर ने तुर्किये के विदेश मंत्री मेवलेट कावुसोग्लू से साइप्रस के मुद्दे पर चर्चा की। दरअसल तुर्किये के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कश्मीर का मुद्दा उठाया था जिसके बाद विदेश मंत्री ने कावुसोग्लू से साइप्रस के मुद्दे पर चर्चा की। दोनों विदेश मंत्रियों ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर मुलाकात की। जयशंकर ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘ृतुर्किये के विदेश मंत्री मेवलेट कावुसोग्लू से यूएनजीए से इतर मुलाकात की। इस दौरान यूक्रेन युद्ध, खाद्य सुरक्षा, जी 20, वैश्विक व्यवस्था, एनएएम और साइप्रस के मुद्दों पर बातचीत हुई।’ साइप्रस समस्या 1974 में तब शुरू हुई जब तुर्किये ने सैन्य तख्तापलट के जवाब में देश के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण किया। यूनान की सरकार ने तख्ता पलट को समर्थन दिया था।