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क्या 20 जनवरी से पहले हो जाएगी ट्रंप की विदाई, अब तक 2 राष्ट्रपतियों पर चला है महाभियोग 

Updated Jan 11, 2021 | 09:00 IST

राष्ट्रपति पर लगे आरोपों पर एक समिति जांच करती है। अपनी जांच पूरी करने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट न्यायिक समिति के पास भेजेती है। समिति की रिपोर्ट में दो बातें होती हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
क्या 20 जनवरी से पहले हो जाएगी ट्रंप की विदाई।

नई दिल्ली : यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद) में छह जनवरी को हुए फसाद के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने की बहस चल रही है। अमेरिका में 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन को सत्ता सौंप देंगे। इस दिन बिडेन को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी। हालांकि, यूएस कैपिटल में ट्रंप समर्थकों की ओ से मचाए गए उत्पात को देखते हुए डेमोक्रेट सांसद जल्दी से जल्दी ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटाना चाहते हैं। इसके लिए वे ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं। यूएस हाउस की स्पीकर नैंसी पेलोसी का कहना है कि ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए सदन महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करेगा। पेलोसी ने इस घटना को अमेरिकी संसद में 'जानलेवा हमला' करार दिया है।

महाभियोग पर सांसदों के रुख बंटे
हालांकि, ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने के लेकर अमेरिकी सांसदों के रुख बंटे हुए हैं। डेमोक्रेट सांसद चाहते हैं कि राष्ट्रपति पद से ट्रंप की विदाई से जल्द से जल्द हो और संविधान में इस तरह के प्रावधान बनाए जाएं जिससे ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव न लड़ सकें। डेमोक्रेट सांसदों का मानना है कि ट्रंप के भड़काऊ भाषण के चलते ही यूएस कैपिटल में उनके समर्थकों ने फसाद किया जिसमें एक महिला सहित पांच लोगों की मौत हुई। कुछ रिपब्लिकन सांसद भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने के समर्थन में हैं। 

लंबी होती है महाभियोग की प्रक्रिया
ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने की बहस के बीच अमेरिकी सांसदों का एक धड़ा इससे सहमत नहीं है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों का मानना है कि ट्रंप को हटाने के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करना अच्छा कदम नहीं होगा, ऐसे में जब वह खुद 20 जनवरी को अपने पद से हट रहे हैं। महाभियोग लाने की प्रक्रिया लंबी होती है और इससे अमेरिका को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। लेकिन स्पीकर पेलोसी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है। उनका मानना है कि ट्रंप आगे चलकर एक बड़ा 'खतरा' साबित हो सकते हैं। 

दो राष्ट्रपतियों पर चला है महाभियोग
अमेरिकी संविधान राष्ट्रपति को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले महाभियोग लाकर उसे हटाने की व्यवस्था देता है। 'देशद्रोह, भ्रष्टाचार, अपराध एवं अमर्यादित आचरण' के आरोपों पर राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके लिए अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। अमेरिका में अभी तक दो राष्ट्रपतियों के खिलाफ महाभियोग चलाया गया है। साल 1968 में राष्ट्रपति एंड्रिउ जॉनसन और वर्ष 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग लाया गया हालांकि दोनों राष्ट्रपतियों के खिलाफ लाया गया महाभियोग गिर गया और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। जबकि साल 1974 में महाभियोग से बचने के लिए राष्ट्रपति रिचर्ड एम. निक्सन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

ऐसे चलती है महाभियोग की प्रक्रिया
राष्ट्रपति पर लगे आरोपों पर एक समिति जांच करती है। अपनी जांच पूरी करने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट न्यायिक समिति के पास भेजेती है। समिति की रिपोर्ट में दो बातें होती या तो वह कहती है कि राष्ट्रपति के खिलाफ लगे आरोपों पर पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इस सिफारिश पर राष्ट्रपति को कोई खतरा नहीं होता है और वह अपने पद पर बने रहते हैं। समिति यदि अपनी रिपोर्ट में यदि यह कहती है कि राष्ट्रपति के खिलाफ लगे आरोप सही मालूम पड़ते हैं तो महाभियोग की कार्रवाई आगे बढ़ती है। 

राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए सीनेट में होती है वोटिंग  
इसके बाद यहर रिपोर्ट हाउस में पेश होती है जिस पर सदन मतदान करता है। सदन में महाभियोग के समर्थन में यदि बहुमत नहीं मिलता है तो यह गिर जाता है। यदि सदन बहुमत से महाभियोग के पक्ष में मतदान करता है तो यह प्रक्रिया फिर आगे बढ़ती है। इसके बाद महाभियोग की प्रक्रिया सीनेट में शुरू होती है।

सीनेट महाभियोग पर राष्ट्रपति के खिलाफ ट्रायल शुरू करती है। ट्रायल के बाद राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए मतदान कराया जाता है। बता दें कि कि हाउस में जहां डेमोक्रेट पार्टी का बहुमत है वहीं सीनेट में कब्जा रिपब्लिकन पार्टी का है। सीनेट में यदि दो तिहाई सदस्य यदि राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के पक्ष में मतदान करते हैं तो राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ता है। राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए सीनेट के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है।