

- रूस ने कोरोना वैक्सीन को किया लांच, राष्ट्रपति पुतिन की बेटियों को लगाया गया पहला डोज
- वैक्सीन लगने वालों ने किसी तरह की परेशानी का नहीं किया जिक्र
- अगर नतीजे सही रहे तो रूस में अक्टूबर के महीने से शुरू होगा देशव्यापी वैक्सीनेशन
नई दिल्ली। दुनिया के अलग अलग देश कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं। हर एक मुल्क को एक अदद वैक्सीन की जरूरत है जिसकी मदद से इस अनजाने शत्रु पर हमला किया जा सके। सोमवार के दिन रूस ने बड़ी खुशखबरी दी कि उसने कोरोना वैक्सीन न सिर्फ बना लिया है बल्कि वैक्सीन को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो बेटियों को दिया भी गया है। व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि उनकी दोनों बेटियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं है और उनमें किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं है। निश्चित तौर पर अगर किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है तो यह दुनिया के लिए राहत वाली बात होगी। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी हमें नतीजों के बारे में और सुक्ष्म विश्लेषण करना होगा।
कोरोना की सबसे बड़ी मार अमेरिका पर
अगर वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी की जिक्र करें तो अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस और साउथ अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित हैं। रूस के साथ साथ अमेरिका, इंग्लैंड और भारत के अलावा कई देशों में वैक्सीन पर क्लिनिकल ट्रायल अलग अलग चरणों में है। ब्रिटेन की आक्सफोर्ड- एस्ट्रोजेनिका की वैक्सी अंतिम चरण में है। भारत की अगर बात करें तो तीन वैक्सीन पर क्लिनिकल ट्रायल दूसरे और तीसरे चरण में हैं।
आंकड़ों के सुक्ष्म अध्ययन की जरूरत
रूस की वैक्सीन के बारे में इंग्लैंड का कहना है वो इस्तेमाल नहीं करेगा। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि जब तक एक बड़े स्तर पर डेटा सामने नहीं आता है वैसे हालात में वैक्सीन की सफलता या दुष्प्रभाव के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लिहाजा वैक्सीन के इस्तेमाल के संबंध में संगठन अपनी तरफ से कुछ नहीं कह सकता है।
वैक्सीन पर इसलिए उठ रहे हैं सवाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ साथ जानकारों को भी रूसी वैक्सीन में झोल दिखाई दे रहा है। मसलन रूस ने पहले कहा था कि वैक्सीन का सीरियल प्रोडक्शन सितंबर में शुरू होगा। लेकिन बाद में रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्कोव नें कहा कि वैक्सीन को अगस्त के महीने में रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। इसके साथ ही फेज 2 और फेज 3 के डेटा उपलब्ध नहीं है। दरअसल फेज 2 और फेज 3 के डेटा से किसी भी वैक्सीन की प्रमाणिकता और पुख्ता हो जाती है।विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि उसके पास महज फेज वन के डेटा हैं। एक न्यूज वेबसाइट ने कहा था कि अभी पिछले महीने फेज वन खत्म हुआ है और ऐसा हो सकता है कि फेज तीन के क्लिनिकल ट्रायल के बिना बाजार में रूस वैक्सीन उतार दे।