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चीन में Xi Jinping बनेंगे और 'मजबूत', CPC की अहम बैठक में 'ऐतिहासिक प्रस्ताव' पारित

Updated Nov 12, 2021 | 06:44 IST

चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की एक महत्‍वपूर्ण बैठक में 'ऐतिहासिक प्रस्‍ताव' पारित किया गया, जिसने राष्ट्रपति शी जिनपिं​ग की स्थिति को और मजबूत करते हुए उनके तीसरे कार्यकाल का रास्‍ता साफ कर दिया है। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि CPC के 100 साल के इतिहास में यह इस तरह का महज तीसरा प्रस्ताव है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की सत्‍ता पर पकड़ और मजबूत हुई है
मुख्य बातें
  • कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) की बैठक में एक महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव पारित किया गया है
  • यह प्रस्‍ताव चीन के शासन में राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की स्थिति को और मजबूत बनाने वाला है
  • 68 वर्षीय शी जिपिंग का चीन की सत्ता के तीन अहम केंद्रों पर पहले से ही नियंत्रण है

बीजिंग : चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की उच्च स्तरीय बैठक में पार्टी के गत 100 साल की अहम उपलब्धियों को लेकर 'ऐतिहासिक प्रस्ताव' पारित किया गया। इसके साथ ही अगले साल राष्ट्रपति शी जिनप‍िंग के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल बल्कि उसके आगे के लिए भी रास्ता साफ कर दिया गया है। पार्टी की 19वीं केंद्रीय समिति का छठा पूर्ण अधिवेशन आठ से 11 नवंबर को बीजिंग में आयोजित किया गया। बृहस्पतिवार को अधिवेशन संपन्न होने के बाद जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि बैठक में 'ऐतिहासिक प्रस्ताव की समीक्षा की गई और उसे पारित किया गया। सीपीसी के 100 साल के इतिहास में यह इस तरह का मात्र तीसरा प्रस्ताव है।

शी जिनपिंग जारी रखेंगे तीसरा कार्यकाल

पार्टी इस बारे में विस्तृत जानकारी शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में देगी। यहां जारी 14 पन्ने की विज्ञप्ति में शी के नेतृत्व और पार्टी में उनकी 'केंद्रीय स्थिति' की प्रशंसा की गई है जो स्पष्ट करता है कि वह अगले साल समाप्त हो रहे दूसरे कार्यकाल के बाद अभूतपूर्व तरीके से तीसरा कार्यकाल जारी रखेंगे और अपने पूर्ववर्तियों की तरह सेवानिवृत्त नहीं होंगे। इस अधिवेशन में पार्टी के करीब 400 वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया और फैसला किया कि पांच साल में एक बार बुलाई जाने वाली पार्टी कांग्रेस (अधिवेशन) को अगले साल के अंत के बजाय मध्य में बुलाया जाए तब शी के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि 68 वर्षीय शी को 'राजकुमार' के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि वह पूर्व उप प्रीमियर शी झोंगझुन के बेटे हैं, जिन्हें उनके उदारवादी विचारों के लिए माओ के अत्याचार का सामना करना पड़ा था। शी का पार्टी में तेजी से कद बढ़ा और वह पूर्ववर्ती राष्ट्रपति हू जिंताओं के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति बने। उन्‍हें 2016 में पार्टी के 'केंद्रीय नेता' का दर्जा दिया गया था, जो माओ के बाद यह दर्जा पाने वाले पहले नेता हैं।

सत्‍ता के तीनों केंद्रों पर शी का कब्‍जा

गौरतलब है कि 68 वर्षीय शी का चीन की सत्ता के तीनों केंद्रों - सीपीसी के महासचिव, शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष जो सभी सैन्य कमानों को देखती है और राष्ट्रपति- पर कब्जा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस अधिवेशन से शी की ताकत और बढ़ी है। चीन की समसामयिकी पर आधारित अखबार चाइना नेइकेन के संपादक एडम नी ने बीबीसी से कहा, 'वह चीन की राष्ट्रीय यात्रा में खुद को नायक के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक प्रस्ताव के जरिये वह खुद को पार्टी और आधुनिक चीन के कथानक के केंद्र में रख दिया है। शी अपनी ताकत प्रदर्शित कर रहे हैं। लेकिन दस्तावेज भी सत्ता को कायम रखने का हथियार है।'

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के डॉ.चोंग जा इयान ने कहा कि नवीनतम घटना ने शी को चीन के अन्य पूर्ववर्ती नेताओं से अलग करता है। उन्होंने कहा, '(पूर्व नेताओं) हू जिंताओं और जियांग जेमिन ने कभी इतने अधिकार को केंद्रित नहीं किया था, जितना शी ने किया है। संभव है कि यह मौजूदा समय में शी के व्यक्तिगत पहल पर हुआ है। वह अधिक संस्थागत जैसा है जो लोग इस समय देख रहे हैं।' गुरुवार के प्रस्ताव के बाद उनकी ताकत को लेकर कोई शंका नहीं बची है और 'कामरेड शी चिनफिेंग का दर्जा केंद्रीय समिति और पार्टी में 'केंद्र' का दिया गया है।