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तीसरे विश्व युद्ध की आहट? छिड़ी एक और जंग, समझें- क्यों भिड़े ये मुल्क

अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Sep 13, 2022 | 12:58 IST

Armenia Azerbaijan War: दरअसल, सबसे पहले दोनों के बीच साल 1980 में भिड़ंत हुई थी और तब दोनों ही पक्ष सोवियत शासन के अधीन थे। अर्मेनिया की सेना ने तब Nagorno-Karabakh के पास स्वाथ्स क्षेत्र (लंबे समय से वैश्विक स्तर पर जिसे अजरबैजान का क्षेत्र माना जाता है) को कब्जा लिया था।

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मुख्य बातें
  • अर्मेनिया और अजरबैजान फिर आए आमने-सामने
  • चिंतित US बोला- सैन्य तरीका विवाद का हल नहीं
  • रूस के राष्ट्रपति से अर्मेनिया के पीएम ने साधा संवाद

Armenia Azerbaijan War: रूस और यूक्रेन का युद्ध पूरी तरह से खत्म भी नहीं हो पाया कि उससे पहले दो मुल्कों में जंग छिड़ गई। यह लड़ाई मंगलवार (13 सितंबर, 2022) सुबह अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुई। बताया गया कि सीमा पर दोनों मुल्कों के बीच ताजा झड़पें हुईं, जिनमें कई अजरबैजानी ट्रूप्स की मौत हुई है। हालांकि, अजरबैजान के कितने फौजी मारे गए हैं? यह फिलहाल साफ नहीं हो पाया है। 

वैसे, जंग के लिए दोनों ही देशों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। 'Aljazeera' की रिपोर्ट में अर्मेनिया की डिफेंस मिनिस्ट्री के हवाले से बताया गया कि अजरबैजान की ओर से "इंटेंसिव शेलिंग" की गई। यह हमला गोरिस, सोक और जर्मुक शहरों की दिशाओं में किया गया था, जहां पर अर्मेनिया की मिलिट्री तैनात थी। हमले में अजरबैजान की सेना ने ड्रोन के साथ आर्टिलरी और बड़े कैलिबर फायरआर्म्स का इस्तेमाल किया। हालांकि, अर्मेनिया के सैन्य बलों ने भी इसका कड़ा जवाब दिया। 

यह पहला मौका नहीं है जब दोनों देश आमने-सामने आए हों। पिछले हफ्ते अर्मेनिया ने अजरबैजान पर अपने एक सैनिक को सरहद के पास हमले में मारने का आरोप लगाया था, जबकि साल 2020 में Nagorno-Karabakh क्षेत्र (अजरबैजान में अर्मेनियाई बहुल वाला एन्क्लेव) को लेकर दोनों मुल्कों में जंग हुई थी। 

दरअसल, सबसे पहले दोनों के बीच साल 1980 में भिड़ंत हुई थी और तब दोनों ही पक्ष सोवियत शासन के अधीन थे। अर्मेनिया की सेना ने तब Nagorno-Karabakh के पास स्वाथ्स क्षेत्र (लंबे समय से वैश्विक स्तर पर जिसे अजरबैजान का क्षेत्र माना जाता है) को कब्जा लिया था। पर वहां तब बड़ी आबादी में अर्मीनिया के लोग थे। इस जंग में करीब 30 हजार लोगों की जान चली गई थी।    

फिर 2022 में जो लड़ाई हुई, इसमें अजरबैजान ने इन क्षेत्रों को  'Russian-brokered truce' के साथ हथिया लिया था। कहा जाता है कि छह हफ्ते चली जंग में तब 6500 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। शांति बहाली के लिए दोनों मुल्कों के लिए नेता कई दफा मिले, पर कुछ खास हल न निकल सका। मई और अप्रैल में ब्रसल्स में यूरोपीय यूनियन की मध्यस्थता वाली बातचीत के दौरान अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलिव (Ilham Aliyev) और अर्मेनिया के पीएम निकोल पाशिनयान (Nikol Pashinyan) भविष्य की पीस ट्रीटी (शांति बहाली संबंधित संधि) को लेकर रजामंद हुए थे।