- पंजशीर घाटी में निर्णायक दौर में पहुंच गई है तालिबान और एनआरएफ के बीच लड़ाई
- तालिबान के ताजा हमले में एनआरएफ को नुकसान हुआ है, उसके कई बड़े नेता मारे गए
- एनआरएफ के नेता अहमद मसूद ने लड़ाई रोकने में दुनिया से तत्काल दखल देने की मांग की है
नई दिल्ली : पंजशीर घाटी की ताजा लड़ाई में राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (NRF) को बड़ा झटका लगा है। इस संघर्ष में एनआरएफ नेता अहमद मसूद के करीबी एवं एनआरएफ के प्रवक्ता फहीम दस्ती और जनरल साहिब अब्दुल वदूद झोर मारे गए हैं। रिपोर्टों की मानें तो एनआरएफ पर हमले में पाकिस्तानी सेना की भूमिका सामने आई है। स्विटजरलैंड में अफगानिस्तान के राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि नासिर अहमद अंदीशा ने अपने एक ट्वीट में कहा कि पंजशीर पर पाकिस्तानी सेना के हेलिकॉप्टरों ने बम बरसाए हैं। इस बमबारी में एनआरएफ के कुछ शीर्ष नेताओं की हत्या हुई है।
सांसद जिया अनिरयनजादो ने भी किया दावा
रिपोर्टों में अफगानिस्तान की सांसद जिया अनिरयनजादो के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तानी एयरफोर्स के ड्रोन ने पंजशीर पर हमला किया। इस बमबारी ने तालिबान को मदद पहुंचाई है। पंजशीर की ताजा लड़ाई के बीच राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (एनआरएफ) के नेता अहमद मसूद ने संघर्ष रोकने के लिए बातचीत शुरू करने की धार्मिक विद्वानों के प्रस्ताव का स्वागत किया है। तालिबान ने रविवार को दावा किया कि उसने पंजशीर के कई जिलों पर अपना नियंत्रण कर लिया है। इसके बाद मसूद का यह बयान आया।
मसूद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल देने की मांग की
एनआरएफ नेता ने संघर्ष रोकने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि वह शांति चाहते हैं लेकिन इसके लिए तालिबान को पंजशीर और अंदराब इलाके में हमले रोकने होंगे। गत 15 अगस्त को तालिबान का राजधानी काबुल पर कब्जा हो गया। इसके बाद वह पंजशीर घाटी को अपने नियंत्रण में लेने के लिए एनआरएफ के साथ युद्ध कर रहा है। बीते सप्ताहों में एनआरएफ के लड़ाकों ने तालिबान को कड़ी टक्कर दी है। एनआरएफ का दावा है कि उसने बड़ी संख्या में तालिबान के लड़ाकों मारा और गिरफ्तार किया है।
तालिबान की इस रफ्तार ने हमें हैरान कर दिया
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे पर ब्रिटिश सेना के प्रमुख जनरल निक कार्टर ने भी प्रतिक्रिया दी है। कार्टर ने बीबीसी से कहा, ‘इस रफ्तार ने हमें हैरान कर दिया और मुझे नहीं लगता कि हम ऐसा कुछ समझ पा रहे थे कि तालिबान ऐसा कर पाएगा।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या सैन्य खुफिया जानकारी गलत थी तो उन्होंने कहा कि सरकार को अनेक सूत्रों से गुप्त जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा, ‘यह विशुद्ध रूप से सेना की खुफिया जानकारी नहीं थी।’