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शुक्रवार की नमाज के बाद अफगानिस्तान में बनेगी 'तालिबानी सरकार'! ईरान की तर्ज पर होगा गठन

Updated Sep 03, 2021 | 09:27 IST

Taliban govt formation in Afghanistan : रिपोर्टों में कहा गया है कि तालिबान अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर सरकार बना सकता है। यानि कि यहां भी ईरान की तरह एक सुप्रीम लीडर हो सकता है।

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मुख्य बातें
  • आज दोपहर के बाद अपनी सरकार की घोषणा कर सकता है तालिबान
  • मुल्ला हैबीतुल्लाह अखुंदजादा को देश का सुप्रीम लीडर बनाए जाने की चर्चा
  • ईरान की तर्ज पर हो सकता है सरकार का गठन, एक राष्ट्रपति भी बनाए जा सकते हैं

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में अपना राज कायम करने के दो सप्ताह बाद तालिबान शुक्रवार की नमाज के बाद अपनी सरकार का गठन कर सकते हैं। रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले यह दावा किया गया है। तालिबान ने गत 15 अगस्त को राजधानी काबुल को अपने नियंत्रण में लिया। इसके बाद 30 अगस्त को अमेरिका की सेना इस देश से निकल गई। तालिबान का कहना है कि उसकी सरकार देश में शांति और स्थिरता लाएगी लेकिन उसके दावों के प्रति दुनिया संशय से देख रही है। फिलहाल, तालिबान किस तरह की सरकार का गठन करने वाला है, इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं।  

ईरान की तर्ज पर सरकार का गठन हो सकता है
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि तालिबान अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर सरकार बना सकता है। यानि कि यहां भी ईरान की तरह एक सुप्रीम लीडर हो सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने तालिबान के एक पदाधिकारी के हवाले से कहा है कि हैबीतुल्लाह अखुंदजादा को गवर्निंग काउंसिल का सुप्रीम लीडर बनाया जा सकता है। इस सुप्रीम लीडर के पास ही असीम शक्तियां होंगी। सुप्रीम लीडर के अधीन एक राष्ट्रपति काम करेंगे। 

सर्वोच्च धार्मिक नेता का निर्णय अंतिम होता है
तालिबान के ‘सूचना एवं संस्कृति आयोग’ के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्ला समांगनी ने बुधवार को कहा, 'नई सरकार बनाने पर बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा हुई।' उन्होंने कहा कि अगले तीन दिन में काबुल में नई सरकार बनाने के लिए समूह पूरी तरह तैयार है। ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है। उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सर्वोच्च नेता का निर्णय अंतिम होता है।

मानवीय संकट से गुजर रहा अफगानिस्तान
अफगानिस्तान के हालात बिगड़ने के बाद वहां मानवीय संकट पैदा हो गया है। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगले एक महीने में इस देश में खाद्यान्न संकट पैदा हो सकता है। लोगों को खाने-पीने की किल्लत होगी। यूएन का कहना है कि तीन अफगान नागरिकों में से एक को भूखा रहना पड़ेगा। ऐसे में तालिबान की ओर से बनाई जाने वाली सरकार के प्रति दुनिया के देश कैसा रुख अपनाते हैं, यह काफी अहम है। क्योंकि इस नई सरकार को मान्यता मिलने पर ही अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मानवीय एवं आर्थिक सहायता मिलने का रास्ता खुल सकेगा। 

खाने-पीने की चीजों की होने लगी है किल्लत
देश पर तालिबान का राज कायम होने के बाद बड़ी संख्या में अफगान नागरिक दूसरे देशों में पलायन किए हैं। यह देश जरूरी चीजों के लिए बहुत कुछ बाहरी दुनिया पर निर्भर है। काबुल एयरपोर्ट के बंद होने से यहां स्वास्थ्य सुविधाओं सहित जरूरी चीजों की किल्लत होने लगी है। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम में 50 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हो चुका है। पेट्रोल के दाम 75 फीसद तक बढ़ गए हैं। बताया जा रहा है कि देश में अगले एक महीने के लिए ही खाद्यान्न मौजूद है।