E-Bus: जल्द लागू होंगे ई-बसों के लिए बैटरी स्वैप नियम, ऑपरेटरों के लिए रेंज की चिंता होगी दूर

Interoperability For E-Bus: ई-बस बनाने वाली कंपनियां प्रोप्राइटरी बैटरियों का उपयोग करती हैं जो व्हीकल में फिट होने के लिए तैयार की जाती हैं। इनमें लगभग शून्य इंटरऑपरेबिलिटी और वजन और क्षमता अलग-अलग होती है।

ई-बस के लिए बैटरी स्वैप नियम

मुख्य बातें
  • ई-बसों के लिए लागू होंगे बैटरी स्वैप नियम
  • ऑपरेटरों के लिए रेंज की चिंता दूर
  • सेक्टर को मिलेगा फायदा

Interoperability For E-Bus: सरकार जल्द ही किसी भी एक्सेसिबल स्टेशन पर बैटरी बदलने में आसानी लाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों के लिए स्वैपेबल बैटरी स्टैंडर्ड (नियम) तय कर सकती है। नए नियमों में साइज, वजन और कैपेसिटी का भी ध्यान रखा जाएगा। इन नियमों के जरिए ई-बसों के लिए बनी बैटरियों की इंटरऑपरेबिलिटी लाने की कोशिश की जाएगी। अभी ई-बसों में और अधिक कोऑर्डिनेटेड टेक्नोलॉजी की आवश्यकता है और इसीलिए ई-बसों की इंटरऑपरेबिलिटी पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।

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अभी कस्टम फिट बैटरियों का होता है इस्तेमाल

फिलहाल ई-बस बनाने वाली कंपनियां प्रोप्राइटरी बैटरियों का उपयोग करती हैं जो व्हीकल में फिट होने के लिए तैयार की जाती हैं। इनमें लगभग शून्य इंटरऑपरेबिलिटी और वजन और क्षमता अलग-अलग होती है।

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