भारत में महंगे होने वाले हैं डीजल वाहन, 10 प्रतिशत प्रदूषण टैक्स पर ये बोली कंपनियां
डीजल वाहनों पर हाल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने इन वाहनों पर 10 प्रतिशत प्रदूषण टैक्स लगाने की ओर इशारा किया है। इसके बाद यहां हम दिखा रहे हैं वाहन निर्माताओं की प्रतिक्रिया।
वाहन कंपनियों ने कहा कि डीजल वाले यात्री वाहनों की बिक्री पहले से ही घट रही है।
- जल्द डीजल वाहन होंगे महंगी
- 10 प्रतिशत प्रदूषण टैक्स लगेगा!
- वाहन निर्माताओं ने किया रिस्पॉन्स
Diesel Vehicle Pollution Tax: कार बनाने वाली प्रमुख कंपनियों मारुति सुजुकी इंडिया और हुंदै मोटर इंडिया ने मंगलवार को कहा कि सख्त उत्सर्जन नियमों से खरीद लागत बढ़ने के साथ कुल यात्री वाहनों में डीजल वाहनों की हिस्सेदारी घट सकती है। वाहन कंपनियों ने कहा कि डीजल वाले यात्री वाहनों की बिक्री पहले से ही घट रही है। इससे पहले, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डीजल चालित वाहनों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने जरूरत की बात कही। लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह का कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन नहीं है।
डीजल वाहनों की बिक्री में गिरावट तेज होगी
मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी (विपणन एवं बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने यहां वाहन कंपनियों के संगठन सियाम के वार्षिक सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कहा, ‘‘यह स्वाभाविक है। जैसे-जैसे उत्सर्जन नियम सख्त होते जाएंगे, खरीद लागत बढ़ती जाएगी और इससे डीजल वाहनों की बिक्री में गिरावट तेज होगी।’’ श्रीवास्तव के अनुसार, ज्यादातर विनिर्माताओं ने घोषणा की है कि वे डीजल वाहन अब नहीं बनाएंगे।
डीजल और पेट्रोल के बीच कीमत का अंतर कम
उन्होंने कहा कि 2013-14 में यात्री वाहनों में डीजल चालित वाहनों की हिस्सेदारी 53.2 प्रतिशत थी। यह चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान 18.2 प्रतिशत पर आ गयी है। श्रीवास्तव ने कहा कि डीजल और पेट्रोल के बीच कीमत का अंतर कम होने से अब डीजल से वाहनों को चलाने की लागत पर लाभ कम हो गया है।
लागत बढ़ने के साथ बचत पर्याप्त नहीं
दूसरी ओर, डीजल यात्री वाहन की खरीद लागत पेट्रोल से चलने वाली कारों की तुलना में बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिये कारखानों और वाहनों में बदलाव की लागत काफी ऊंची हो सकती है। वहीं खरीद लागत बढ़ने के साथ, बचत पर्याप्त नहीं है। ऐसे में डीजल वाहन खरीदने को लेकर जो आर्थिक तर्क दिया जाता था, वह अब खत्म हो गया है।
ग्राहकों की बदलती पसंद
हुंदै मोटर इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी तरुण गर्ग ने कहा कि ग्राहकों की बदलती पसंद के कारण इस साल जनवरी-अगस्त अवधि में कंपनी के वाहनों में डीजल से चलने वाली गाड़ियों की हिस्सेदारी भी घटकर 18 प्रतिशत रह गई, जो पहले 30 प्रतिशत थी। उन्होंने डीजल वाहनों के भविष्य के बारे में कहा कि कंपनी की जिम्मेदारी है कि ग्राहक को जो भी चाहिए, उसे मुहैया कराया जाए। कंपनी जब तक सभी मानदंडों को पूरा करेगी, वह इसे जारी रखेगी।
सरकार हमसे जो चाहेगी हम वही करेंगे
यह पूछे जाने पर कि क्या वाहन कंपनी डीजल वाहनों में कराधान में बदलाव का समर्थन करती है, गर्ग ने कहा, ‘‘...यह सरकार का काम है। सरकार हमसे जो चाहेगी हम वही करेंगे और हमने हमेशा देश के सभी कायदे-कानून का पालन किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण अनुकूल परिवहन व्यवस्था की दिशा में बदलाव पहले से ही हो रहा है, हालांकि यह रातोरात नहीं होगा।
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