Super Cars: कब बनी थी पहली लैंबॉर्गिनी-फरारी-पगानी, कभी मिली ठोकर; आज चलाने को तरसते हैं लोग
फरारी, लैंबॉर्गिनी और पगानी आज दुनिया की सबसे नामी कार कंपनियों में से एक हैं। इन कंपनियों की बनाई कारें इतनी पॉपुलर हैं कि खिलौनों से लेकर पोस्टर्स तक हर जगह आपको नजर आ जाएंगी और एक नजर देखकर ही लोग इनकी कारों को पहचान लेते हैं। लेकिन इन तीनों कंपनियों की शुरुआत एक दूसरे से करीबी रूप से जुड़ी हुई है। इतना ही नहीं, रिजेक्शन की ताकत समझनी हो तो ये कहानी आपको जरूर सुननी चाहिए।
कब बनी थी पहली लैंबॉर्गिनी-फरारी-पगानी, कभी मिली ठोकर; आज चलाने को तरसते हैं लोग
Super Cars: फरारी-लैंबॉर्गिनी और पगानी आज दुनिया की सबसे पॉपुलर कार कंपनियों में से एक हैं। खिलौनों से लेकर पोस्टर्स और कार कलेक्शन से लेकर पंजाबी गानों की वीडियोज तक, हर जगह आपको इन कंपनियों की कारें दिख जाती हैं। इन कंपनियों की कारों की पॉपुलैरिटी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लोग इनके लोगो को अपने कमरों में पोस्टर्स के रूप में सजाते हैं। लेकिन बहुत कम ही लोग हैं जो ये जानते हैं कि इन कंपनियों की शुरुआत कैसे हुई। इन तीनों कंपनियों की शुरुआत आपस में जुड़ी हुई है और इनकी कहानी रिजेक्शन की ताकत की जबरदस्त कहानी है।
फरारी की शुरुआत
1919 में एंजो फरारी इटली के टुरिन शहर में टेस्ट ड्राइवर के रूप में करियर की शुरुआत करते हैं। इसके बाद वो मिलान आ जाते हैं जहां कार की टेस्टिंग करते करते मोटरसाइकिल रेसिंग में भी रूचि लेने लगते हैं। 10 साल बाद 1929 में एंजो फरारी एक रेसिंग टीम बनाते हैं जिसका नाम स्कुडेरिया फरारी था। यह टीम इटली की जानी मानी कार निर्माता कंपनी एल्फा रोमियो को काफी पॉपुलर बनाती है। उनकी पॉपुलैरिटी देखते हुए एंजो को एल्फा रोमियो की रेसिंग डिविजन का डायरेक्टर बना दिया जाता है। लेकिन 10 साल बाद कहानी फिर रोचक मोड़ लेती है और कंपनी के रेसिंग डिविजन को लेकर असहमति की वजह से एंजो को एल्फा रोमियो से निकाल दिया जाता है। इसके बाद एंजो फरारी अपनी वर्कशॉप में कारों पर काम करते हैं और 1945 में आधिकारिक रूप से फरारी नाम अपनाते हैं। इसके बाद 1947 में फरारी अपनी पहली स्पोर्ट्स कार लॉन्च करती है और तभी से कंपनी खूबसूरत कारें बना रही है।
लैंबॉर्गिनी की शुरुआत
फेरुचियो लैंबॉर्गिनी दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इटली की रॉयल एयर फोर्स में मैकेनिक के रूप में काम करते थे। मिलिट्री से प्राप्त हुए अतिरिक्त सामान के साथ फेरुचियो ने ट्रैक्टर बनाने शुरू किये और आगे चलकर ट्रैक्टर निर्माता रूप में वो काफी पॉपुलर हुए। फेरुचियो अमीर हुए तो उन्होंने फरारी की कार खरीदी लेकिन फरारी की कार ने उन्हें काफी नाखुश कर दिया। फरारी के क्लच में काफी दिक्कतें आती रहती थीं जिसकी वजह से फेरुचियो को बार-बार शहर सर्विस करवाना जाना पड़ता था। इस बारे में उन्होंने फरारी को बताया था तो उन्हें ट्रैक्टर बनाने की ही सलाह दी गई जिसपर फेरुचियो को काफी बुरा लगा। उन्होंने फरारी से बदला लेने के लिए कार बनानी शुरू की और 1963 में अपनी पहली कार लॉन्च की। आगे चलकर उन्होंने दुनिया की सबसे तेज कार बनाकर फरारी से बदला लिया और इस तरह लैंबॉर्गिनी की शुरुआत हुई।
पगानी का किस्सा
पगानी इस कड़ी का सबसे आधुनिक हिस्सा हैं। 1982 में बर्टन के डिजाइन और उनके काम से प्रभावित होकर होराशियो पगानी ने लैंबॉर्गिनी में काम करना शुरू किया। पगानी ने लैंबॉर्गिनी की बहुत सी पॉपुलर कारों को बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और वो कंपनी में चीफ इंजीनियर थे। आगे चलकर कंपनी की कारों का वजन कम करने के लिए पगानी ने कार्बन फाइबर का इस्तेमाल करने की सलाह दी। लेकिन लैंबॉर्गिनी ने यह प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि कार्बन फाइबर काफी महंगा था और एक बार दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इसे रिपेयर नहीं किया जा सकता था। होराशियो ने 1991 में मोडेना डिजाइन के नाम से अपनी खुद की कंसल्टेंसी की शुरुआत की। 1992 में पगानी कंपनी की शुरुआत हुई और इसके बाद 1999 में कंपनी की पहली कार जोंडा आई जो काफी बड़ी हिट साबित हुई।
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Pawan Mishra author
पवन कुमार मिश्रा Timesnowhindi.com के साथ फरवरी 2024 से बतौर सीनियर कॉपी एडिटर के रूप में जुड़े हैं। जन्म दिल्ली में हुआ और शिक्षा भी यहीं से पूरी की ह...और देखें
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