अभी भी इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स की कमी से जूझ रही मारुति सुजुकी, 4 लाख से ज्यादा गाड़ियों के ऑर्डर पेंडिंग

Maruti Suzuki India: देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उत्पादन घटने की आशंका है। हालांकि, कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जुलाई-सितंबर की तिमाही से स्थिति सुधरने की उम्मीद है। कंपनी अब भी इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की कमी से जूझ रही है।

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कंपनी अब भी इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की कमी से जूझ रही है

Maruti Suzuki India: देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उत्पादन घटने की आशंका है। हालांकि, कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जुलाई-सितंबर की तिमाही से स्थिति सुधरने की उम्मीद है। कंपनी अब भी इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की कमी से जूझ रही है, जिसके चलते पहली तिमाही में उसको उत्पादन में नुकसान की आशंका है। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी काफी समय से चिप के संकट का सामना कर रही है जिससे उसके सप्लायर मांगों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

पिछले वित्त वर्ष में कंपनी को हुआ 1.7 लाख गाड़ियों के उत्पादन का नुकसान

मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (सेल्स एंड मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमें पिछले वित्त वर्ष में 1.7 लाख इकाइयों के उत्पादन का नुकसान हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में हमारा नुकसान लगभग 45,000 इकाइयों का था। इसी तरह चौथी तिमाही में लगभग 38,000 इकाइयों का नुकसान हुआ।’’

मांग बढ़ने से पेंडिंग ऑर्डर्स की संख्या 4 लाख के पार पहुंची

मांग ज्यादा और सप्लाई कम रहने की वजह से कंपनी के पेंडिंग ऑर्डर चार लाख यूनिट्स को पार कर गए हैं। सबसे ज्यादा एक लाख ऑर्डर अर्टिगा के पेंडिंग हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि मौजूदा आपूर्ति की स्थिति के साथ कंपनी को अप्रैल में उत्पादन का नुकसान हुआ है। कुछ यही स्थिति मई और जून में भी जारी रहने की आशंका है।

ब्रेजा के 60 हजार से ज्यादा यूनिट्स के ऑर्डर पेंडिंग

उन्होंने कहा, ‘‘मई में नुकसान हुआ है और जून में ऐसा ही रहेगा। इस तिमाही में हमें उत्पादन का नुकसान होगा।’’

अर्टिगा के अलावा कॉम्पैक्ट एसयूवी ब्रेजा के 60,000 इकाइयों के ऑर्डर लंबित हैं। जिम्नी और फ्रोंक्स के 30,000-30,000 इकाइयों के ऑर्डर लंबित हैं। श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई कि आने वाले महीनों में चिप आपूर्ति की स्थिति में कुछ सुधार होगा। इसलिए संभवत: जुलाई के बाद से हम स्थिति में कुछ सुधार देखेंगे।’’

भाषा इनपुट्स के साथ

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    सुनील चौरसिया author

    मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स नाउ नवभारत में बिजनेस, यूटिलिटी और पर्सनल फाइनेंस पर...और देखें

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