महिलाओं के लिए कैसे कारगर साबित हो रही है बाइक टैक्सी, ऊबर ने जारी की रिपोर्ट

कैब एग्रिगेटर और राइड हेलिंग ऐप ऊबर ने जानकारी दी है कि बाइक टैक्सी किस तरह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता कर रही हैं। कंपनी ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए इसकी विस्तार से जानकारी दी है।

Uber Bike Service

कंपनी ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए इसकी विस्तार से जानकारी दी है।

मुख्य बातें
  • कारगर है राइड हेलिंग ऊबर सर्विस
  • महिलाओं को बना रही है इंडिपेंडेंट
  • कंपनी ने जारी की रिसर्च रिपोर्ट
Ride Hailing Uber App Service: भारत के मशहूर राईड-हेलिंग ऐप ऊबर ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट का अनावरण किया, जो महिलाओं को सशक्त बनाने तथा भारत में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने में राईड-हेलिंग प्लेटफॉर्म्स की बदलावकारी भूमिका पर रोशनी डालती हैं। यह रिपोर्ट ‘राईड हेलिंगः अ प्लेटफॉर्म फॉर वुमेन्स इकोनोमिक अपॉर्च्युनिटीज़ इन इंडिया’ बताती है कि किस तरह ये सर्विसेज़ अधिक से अधिक महिलाओं को कार्यबल में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह अध्ययन बताता है कि कैसे राईड-हेलिंग सेवाएं महिलाओं के लिए काम करने की प्रक्रिया को आसान बना रही हैं और वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर सफलता की नई उंचाईयों को छू रहीं हैं।

ऊबर के लिए गर्व की बात

प्राभजीत सिंह, प्रेज़ीडेन्ट, ऊबर इंडिया एवं साउथ एशिया ने कहा, ‘‘भारत की आर्थिक क्षमता का सदुपयोग करने के लिए अधिक से अधिक महिलाओं को कार्यबल में शामिल करना ज़रूरी है। ऑक्सफोर्ड इकोनोमीज़ द्वारा किया गया यह अनुसंधान बताता है कि कैसे परिवहन के सुरक्षित एवं भरोसेमंद विकल्पों की कमी के चलते महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलकर काम पर जाना मुश्किल होता है। यह देखकर अच्छा लगता है कि ऊबर एवं राइड के अन्य विकल्प महिलाओं को परिवहन के सुरक्षित एवं सुविधाजनक विकल्प उपलब्ध कराकर ‘जेंडर कम्यूट गैप’ को दूर करते हैं। फिर चाहे उन्हें अपने गंतव्य तक सीधे पहुंचना हो या नज़दीकी मास ट्रांज़िट स्टेशन तक। ऊबर के लिए गर्व की बात है कि भारतीय महिलाएं आज और आने वाले कल में देश की आर्थिक सफलता की कहानी में योगदान दे रही हैं।’’

ऑक्सफोर्ड इकोनोमीज़ और ऊबर

रिपोर्ट के लिए पांच भारतीय शहरों में सर्वे किया गया। ऊबर के साथ साझेदारी में ऑक्सफोर्ड इकोनोमीज़ द्वारा किया गया यह सर्वेक्षण भारत के पांच मुख्य शहरों- बैंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में पुरूषों एवं महिलाओं द्वारा राईड सुविधाओं का लाभ उठाने के व्यवहार पर रोशनी डालता है। यह अध्ययन कार्यबल में महिलाओं को शामिल करने के लिए राईड सुविधाओं के प्रभाव को दर्शाता है।

इसी वजह से काम कर पा रही हैं

कार्यबल में शामिल होनाः 10 कामकाजी महिलाओं में से 4 महिलाओं ने बताया कि राईड सुविधाएं मिलने की वजह से ही वे काम कर पा रही हैं, इन सुविधाओं की वजह से उनके काम में आने वाली अड़चनें दूर हुई हैं। काम और परिवार के बीच तालमेलः सर्वेक्षण में शामिल होने वाले आधी महिलाओं के अनुसार राईड सुविधाओं के चलते वे काम और परिवार के बीच बेहतर तालमेलबना पाती हैं। इससे उन्हें अधिक प्रत्यास्थता मिलती है।

करियर की संभावनाओं में बढ़ोतरी

सुरक्षा है प्राथमिकताः राईड सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाली 75 फीसदी महिलाएं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन सुविधाओं के विकल्प चुनती हैं। इससे स्पष्ट है कि राईड सुविधाएं महिलाओं को परिवहन के सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हर तीन में से एक कामकाजी महिला का मानना है कि राईड सुविधाओं की वजह से उनके लिए काम के उचित अवसर सुलभ हो जाते हैं और करियर की संभावनाओं में बढ़ोतरी होती है।

महिलाओं की भागीदारी कम

दुनिया के अन्य शहरों की तुलना में भारतीय शहरों में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कम है। 2022 में दुनिया में महिलाओं की भागीदारी 47 फीसदी थी, जबकि भारत में यह आंकड़ा मात्र 37 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के लिए कार्यबल में शामिल होने में दो बड़ी चुनौतियां हैं- सुरक्षित परिवहन की कमी तथा काम एवं परिवार के बीच तालमेल ना बन पाना।

ऑक्सफोर्ड इकोनोमीज़ द्वारा प्रस्तुत

ऊबर और स्वतन्त्र ग्लोबल अडवाइज़री फर्म ऑक्सफोर्ड इकोनोमीज़ द्वारा प्रस्तुत की गई यह रिपोर्ट कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी और 2028 तक अर्थव्यवस्थाओं के विकास के लिए राईड सुविधाओं के योगदान की संभावनाओं पर रोशनी डालती है। राईड सुविधाओं के चलते आर्थिक फायदों का अनुमान लगाने के लिए ऑक्सफोर्ड इकोनोमीज़ को ऊबर के प्रॉपराइटरी डेटा का एक्सेस दिया गया था।
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अंशुमन साकल्ले author

अंशुमन साकल्ले जून 2022 से टाइम्स नाउ नवभारत (www.timesnowhindi.com/) में बतौर सीनियर स्पेशल करेस्पॉन्डेंट कार्यरत हैं। ये ईएमएमसी, दैनिक भास्कर, एनडी...और देखें

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