Toll Charge: ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम वाले वाहनों पर नहीं लगेगा 20 किमी तक टोल शुल्क, नियमों में किया गया बदलाव
Global Navigation Satellite System: सड़क परिवहन मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि उसने फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली को पायलट आधार पर लागू करने का फैसला किया है।
GNSS वाले वाहनों को लाभ
मुख्य बातें
- GNSS वाले वाहनों को लाभ
- नहीं लगेगा 20 किमी तक टोल शुल्क
- नियमों में किया गया बदलाव
Global Navigation Satellite System: ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) से लैस निजी वाहनों के मालिकों से हाईवे और एक्सप्रेसवे पर रोजाना 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। एक अधिसूचना में यह प्रावधान किया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन करने की अधिसूचना जारी की।
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जान लीजिए नया नियम
राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) संशोधन नियम, 2024 के रूप में अधिसूचित नए नियमों के तहत राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने पर ही वाहन मालिक से कुल दूरी पर शुल्क लिया जाएगा।
अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रीय परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर किसी अन्य वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग के उसी खंड का उपयोग करता है, उससे जीएनएसएस-आधारित यूजर्स फी कलेक्शन सिस्टम के तहत एक दिन में हर दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।’’
जुलाई में आई थी सुविधा
सड़क परिवहन मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि उसने फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली को पायलट आधार पर लागू करने का फैसला किया है।
जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के संबंध में एक पायलट स्टडी कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार खंड पर किया गया है। (इनपुट - भाषा)
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काशिद हुसैन author
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