एक साल में 1.67 लाख लोगों ने छोड़ी मुकेश अंबानी की कंपनियां, जानें क्या है वजह
1.67 Lakh People Left Reliance in FY23: रिलायंस रिटेल में से 1,19,229, रिलायंस रिटेल में से 41818 और रिलायंस जियो में से 41818 कर्मचारी बाहर हुए। वहीं कंपनी के ऑयल टू केमिकल सेगमेंट में से 2742 कर्मचारियों ने बाहर जाने का फैसला किया।
FY23 में 1.67 लाख लोगों ने छोड़ी रिलायंस
- 1.67 लाख कर्मचारियों ने छोड़ा रिलायंस ग्रुप
- रिलायंस रिटेल में से बाहर हुए 1.19 लाख
- जियो से निकल गए 41818 कर्मचारी
1.67 Lakh People Left Reliance in FY23: रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) की टेलीकॉम और रिटेल यूनिट्स यानी रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) और रिलायंस जियो (Reliance Jio) में अपनी मर्जी से नौकरी छोड़ने की दर 64.8 प्रतिशत तक बढ़ गई। इस बात का खुलासा रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 1,67,391 कर्मचारियों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड छोड़ी।
किस कंपनी में से कितने कर्मचारी हुए बाहर
डिटेल में देखें तो रिलायंस रिटेल में से 1,19,229 और रिलायंस जियो में से 41818 कर्मचारी बाहर हुए। वहीं कंपनी के ऑयल टू केमिकल सेगमेंट में से 2742 कर्मचारियों ने बाहर जाने का फैसला किया।
वित्त वर्ष 2021-22 में रिलायंस रिटेल और जियो में से मिलाकर स्वैच्छिक नौकरी छोड़ वालों की संख्या 97,739 थी। इसका मतलब यह है कि स्वैच्छिक नौकरी छोड़ने की दर साल-दर-साल 64.8 प्रतिशत बढ़ गई।
क्यों छोड़ी इतने लोगों ने कंपनी
दरअसल रिलायंस ने रिटेल सेक्टर में कई कंपनियों को खरीदा है। इसके बाद कंपनियों में बढ़ी अतिरिक्तता और भूमिकाओं के डुप्लिकेशन के कारण कर्मचारियों की तरफ से रिजाइन करने की दर बढ़ी है । कुछ कर्मचारियों ने नई जिम्मेदारियाँ लेने का फैसला किया, जबकि कुछ ने चल रही हायरिंग के बीच अलग-अलग इंडस्ट्री में शामिल होने के लिए कंपनी छोड़ दी।
कितने हैं टोटल कर्मचारी
कंपनी के हायरिंग ट्रेंड में भी तेजी देखी गई। कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में अपने सभी वर्टिकल्स में कुल 2,62,558 कर्मचारियों को नियुक्त किया, जबकि 2021-22 में यह संख्या 2,32,822 थी। पूरे समूह में कर्मचारियों की कुल संख्या 3,89,414 रही, जिससे कंपनी की स्थिति भारत में सबसे बड़े एम्प्लॉयर्स में से एक बनी हुई है।
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने एमप्लॉई बेनेफिट पर 24,872 करोड़ रुपये खर्च किए, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 6,000 करोड़ रुपये अधिक है।
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