40 साल पहले जब धीरू भाई अंबानी भी गौतम अडानी की तरह बने थे निशाना, जानें पूरा मामला
1982 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरू भाई अंबानी भी इसी तरह से निशाना बनाए गए जिस दौर से गौतम अडानी गुजर रहे हैं। यहां हम बताएंगे कि आखिर वो पूरा मामला क्या था।
क्या हिंडनबर्ग का कोई एजेंडा है, क्या हिंडनबर्ग गौतम अडानी के पीछे पड़ा है। दरअसल हिंडनबर्ग के बारे में कहा जाता है कि इसका काम ही दूसरे की साख पर बट्टा लगाने का रहा है। गुरुवार को गौतम अडानी ने 20 हजार करोड़ के एफपीओ को वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था कि हाल में बाजार में हलचल के बाद उन्होंने निवेशकों के हित में फैसला किया है। उन्होंने नैतिकता का हवाला दिया। अब सवाल यह है कि हिंडनबर्ग के रिपोर्ट देने के पीछे की वजह क्या है। जब इस मामले में हिंडनबर्ग की भूमिका को समझने की कोशिश की गई तो पता चला की वो खुद शॉर्ट सेलिंग का काम करते हैं इसका अर्थ यह है कि किसी शेयर को तय दाम पर इस उम्मीद से बेचना कि बाजार के बंद होने पर शेयरों की कीमत में कमी आएगी और वो उसे दोबारा खरीद लेंगे। मसलन अगर एक शेयर की कीमत 10 रुपए है तो उसे पहले बेच दो और यदि दाम 10 से नीचे आए तो खरीद लो। यानी कि इस तरह से फायदा होगा। हिंडनबर्ग इस तरह से अपना काम करती है। लेकिन यहां हम जिक्र करेंगे कि एक ऐसे शख्स की जो खुद इस तरह से शिकार बने थे। जी हां बात हो रही है रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरू भाई अंबानी की। करीब 40 साल पहले उन्हें इसी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिस दौर से गौतम अडानी गुजर रहे हैं।
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