8th Pay Commission: कर्मचारियों की इच्छा के अनुसार बढ़ेगी सैलरी? जानिए 6ठे और 7वें वेतन आयोग में बढ़ी थी कितनी

8th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारी 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसलिए वेतन और फिटमेंट फैक्टर में बढ़ोतरी को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। आइए जानते हैं 6ठे और 7वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की मांगें मानी गईं।

8th Pay Commission, 6th Pay Commission, 7th Pay Commission

आठवें वेतन आयोग के तहत पहले की तरह बढ़ेगी सैलरी या कर्मचारियों की इच्छानुसार (तस्वीर-Canva)

8th Pay Commission: हाल ही में मोदी सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के गठन की मंजूरी दी। अब केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी इस आयोग के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वेतन और फिटमेंट फैक्टर में बढ़ोतरी को लेकर कई अटकलें सोशल मीडिया पर चल रही हैं। हाल के हफ्तों में कई मीडिया रिपोर्टों ने यह भी अनुमान लगाया है कि 8वां वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में 2.86 के फिटमेंट फैक्टर की वृद्धि कर सकता है। हालांकि ऐसी रिपोर्टों का कोई आधार नहीं है क्योंकि 8वें वेतन आयोग का आधिकारिक रूप से गठन होना अभी बाकी है। 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन के बाद भी सिफारिशें पेश करने में एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है। गौर हो कि 8वां वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए वेतन और विभिन्न भत्तों में संशोधन की सिफारिश करेगा। पिछले अनुभवों से यह बात सामने आती है कि 8वें वेतन आयोग से बहुत अधिक उम्मीदें रखने से निराशा हो सकती है।

7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) में कितनी बढ़ी थी सैलरी

7वें वेतन आयोग ने कर्मचारियों की वेतन संशोधन मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया था। 7वें वेतन आयोग से पहले कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले JCM-स्टाफ पक्ष ने न्यूनतम वेतन में 7000 रुपये से 26,000 रुपये तक करीब 271% की वृद्धि (Salary Hike) की मांग करते हुए एक मेमोरेंडम पेश किया था। इस मांग को स्वीकार करने के लिए 7वें वेतन आयोग को 3.7 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करनी होगी।

7वें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि जेसीएम-स्टाफ पक्ष ने अपने मेमोरेंडम में प्रस्ताव दिया था कि न्यूनतम वेतन, सबसे निचले स्तर पर, आवश्यकता आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके निर्धारित किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि एक कर्मचारी के लिए न्यूनतम वेतन 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा निर्धारित मानदंडों पर आधारित होना चाहिए। ज्ञापन में सुझाए गए न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये था, जो मौजूदा न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से करीब 3.7 गुना है।

हालांकि 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन केवल 18,000 रुपये रखने की सिफारिश की, जो 6वें वेतन आयोग के तहत 7000 रुपये के पिछले न्यूनतम वेतन से करीब 157% अधिक था। 7वें वेतन आयोग ने कहा था कि व्यापक दृष्टिकोण समान है, लेकिन बारीकियां अलग-अलग हैं और आयोग ने एक्रॉयड फॉर्मूले में परिभाषित परिवार के साथ सिंगल कर्मचारी के लिए आवश्यकता-आधारित न्यूनतम वेतन के आधार पर न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये की गणना की थी।

6ठे वेतन आयोग (6th Pay Commission) में कितनी बढ़ी थी सैलरी

6वें वेतन आयोग (6th Pay Commission) ने भी कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन वृद्धि (Salary Hike) की मांग को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया था। जेसीएम में कर्मचारी पक्ष के विभिन्न संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन 10,000 रुपये की मांग की थी। कर्मचारी पक्ष ने यह भी तर्क दिया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के वेंचर में न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये प्रति माह के आसपास है। इसलिए, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी समान वेतन प्रदान किया जाना चाहिए।

हालांकि 6वें CPC ने यह तर्क दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र के वेंचर में न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये प्रति माह के आसपास है और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी इसी तरह की व्यवस्था प्रदान की जानी चाहिए, तथ्यों पर आधारित नहीं है क्योंकि 1 जनवरी 2006 तक अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र के वेंचर में ऐसा न्यूनतम वेतन मौजूद नहीं था। 6वें सीपीसी ने अंततः करीब 7000 रुपये के न्यूनतम वेतन की सिफारिश की थी।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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