सहकारिता का नवयुग: मंत्रालय की नई पहल और सहकारी विश्वविद्यालय के साथ विकास की नई उड़ान

Cooperative Movement: गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत का सहकारी आंदोलन क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा में अग्रसर है। सहकारिता मंत्रालय और सहकारी विश्वविद्यालय के साथ विकास के नये युग की शुरुआत हुई है। सहकारिता आंदोलन सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में गहराई से निहित है।

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डॉ. उदय शंकर अवस्थी, प्रबंध निदेशक, इफको

Cooperative Movement: भारत का सहकारिता आंदोलन सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में गहराई से निहित है। यह आंदोलन समावेशी विकास, सामुदायिक सशक्तिकरण और ग्रामीण प्रगति के लिए एक सशक्त माध्यम के रूप में विकसित हुआ है। सहकारिता मंत्रालय की स्थापना और इसकी नवीनतम पहलों के जरिये सरकार ने सहकारी मॉडल को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया है, जिससे यह देश के हर कोने तक पहुंचेगा और समाज के हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए स्थायी आजीविका और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करेगा।

6 जुलाई 2021 को सहकारिता मंत्रालय की स्थापना भारत के सहकारी आंदोलन में एक परिवर्तनकारी क्षण था। सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, मंत्रालय ने इस क्षेत्र को मजबूत और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से व्यापक नीतिगत ढांचा, कानूनी सुधार और रणनीतिक पहल शुरू की हैं। मंत्रालय अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सहकारी समितियों के लिए "व्यवसाय करने में आसानी", डिजिटलीकरण द्वारा पारदर्शिता सुनिश्चित करने और वंचित ग्रामीण समुदायों के लिए समावेशिता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रहा है।

सहकारिता आंदोलन में दूरदर्शी नेतृत्व

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत का सहकारी आंदोलन क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा में अग्रसर है। उनकी दूरदर्शी सोच ने सहकारिता क्षेत्र में नई विचारधारा को जन्म दिया है। उनके मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय ने कई उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं:-

  • ई-सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) के रूप में PACS का कंप्यूटरीकरण और इसे बहुउद्देशीय बनाने हेतु मॉडल उपनियम।
  • प्रत्येक पंचायत/गांव में बहुउद्देशीय PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना।
राष्ट्रीय स्तर पर तीन नई बहुराज्यीय सहकारी संस्थाओं का गठन:-

  • राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) - सहकारी क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने हेतु।
  • भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSL) - उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों की खेती, उत्पादन और वितरण हेतु।
  • राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) - प्रमाणित जैविक उत्पादों के उत्पादन, वितरण और मार्केटिंग के लिए।
  • सहकारी चीनी मिलों को मजबूत करने, इथेनॉल उत्पादन को प्राथमिकता देने और कोजनरेशन पावर प्लांट स्थापित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की ऋण योजना।

प्रमुख उपलब्धियां और सहकारी क्षेत्र का विस्तार

  • PACS का डिजिटलीकरण: 63,000 PACS को कंप्यूटरीकृत करने के लिए 2,516 रुपये करोड़ की ऐतिहासिक परियोजना लागू की जा रही है। 15,783 PACS पहले ही इसमें शामिल हो चुके हैं।
  • नए PACS की स्थापना: 9,000 से अधिक नई PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जा रही है।
  • अनाज भंडारण योजना: PACS स्तर पर भंडारण और बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए 2,000 PACS को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।
  • CSC के रूप में PACS की भूमिका: 30,647 PACS को सामान्य सेवा केंद्र (CSC) के रूप में नामित किया गया है, जिससे ग्रामीण नागरिकों को 300 से अधिक आवश्यक ई-सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

कृषि क्षेत्र में इफको का क्रांतिकारी योगदान

इफको ने नैनो यूरिया (तरल) और नैनो डीएपी (तरल) जैसे नवाचारों के माध्यम से कृषि सहकारी क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं। जल्द ही नैनो एनपीके (दानेदार) को भी मंजूरी मिलने की संभावना है। इन नवाचारों से कृषि में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे, जिससे अधिक दक्षता, लागत प्रभावशीलता और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित होगी। इफको के इन उत्पादों को वैश्विक मान्यता मिल चुकी है और ये अमेरिका, ब्राजील, जाम्बिया, गिनी-कोनाक्री, मॉरीशस, रवांडा, मलेशिया और फिलीपींस के बाजारों में पहुंच चुके हैं।

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय: सहकारी विकास का उत्प्रेरक

सहकारी शिक्षा, अनुसंधान और नेतृत्व विकास को समर्पित त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना सहकारी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इसका उद्देश्य सहकारी प्रशासन को आधुनिक और सशक्त बनाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करना है। यह विश्वविद्यालय:-

  • नवाचार और सहकारी व्यापार मॉडल विकसित करने में केंद्र की भूमिका निभाएगा।
  • कृषि, मत्स्य पालन, डेयरी, बैंकिंग और विपणन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में तकनीकी और प्रबंधकीय शिक्षा प्रदान करेगा।
  • डिग्री और डिप्लोमा कार्यक्रमों के अलावा, विशेष पाठ्यक्रम भी संचालित करेगा।
  • सहकारी आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए कौशल विकास और जागरूकता को बढ़ावा देगा।

वैश्विक सहकारी आंदोलन में भारत की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया जाना सहकारी मॉडल के वैश्विक महत्व को रेखांकित करता है। सहकारिता मंत्रालय इसे गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और समावेशी आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में देखता है। विभिन्न पहलों, कार्यक्रमों और सम्मेलनों के माध्यम से भारत सहकारी सिद्धांतों को वैश्विक स्तर पर सशक्त बनाने का कार्य करेगा।

निष्कर्ष

अपनी रणनीतिक पहलों और दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से, सहकारिता मंत्रालय ने भारत के सहकारी क्षेत्र को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना, सहकारी समितियों का आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण, तथा नए व्यापार मॉडल अपनाने से यह सुनिश्चित हुआ है कि भारत सहकारी नवाचार और ग्रामीण विकास में अग्रणी बना रहे। सहकारी नेतृत्व आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर, सरकार एक सशक्त और टिकाऊ मॉडल स्थापित कर रही है, जिससे भारत का सहकारी आंदोलन ग्रामीण समृद्धि और राष्ट्रीय प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

(डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल डॉ. उदय शंकर अवस्थी, प्रबंध निदेशक, इफको ने लिखी है, इस आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं।)

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