ग्रामीण महिलाओं को देंगे पैरामेडिक्स की ट्रेनिंग, मिलेगा आयुष सैक्टर में काम
ग्रामीण महिलाओं को पैरामेडिक्स की ट्रेनिंग देने के लिए आयुश मंत्रालय और ग्रामीण विकाय मंत्रालय ने हाथ मिलाया है. पैरामेडिकल सैक्टर में ही इन महिलाओं को रोजगार दिलवाने में भी ये दोनों साथ मिलकर काम करेंगे.

मांग को पूरा करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के तरफ से एक साझा प्रयास किया गया
- ग्रामीण महिलाओं को पैरामेडिकल ट्रेनिंग
- आयुष सैक्टर में रोजगार का भी मौका
- हजारों महिलाओं को मिलेगी खास ट्रेनिंग
Aayush And Gramin Vikas Ministry To Train Rural Women For Para Medical Staff: योग के साथ साथ आयुर्वेदिक पद्धति से बढ़ते ईलाज के चलने के बाद अब इस सेक्टर में पैरामेडिकल स्टॉफ की भी मांग बढ़ी है। वही इस मांग को पूरा करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के तरफ से एक साझा प्रयास किया गया। दोनों मंत्रालय ने गुरुवार को दिल्ली में सेल्फ हेल्फ़ ग्रूप के सदस्यों के लिए खासकर महिलाओं के लिए पारामेडिक्स स्टॉफ को स्किल्ड करने के लिए एक समझौता किया गया।
पारा मेडिक्स स्टॉफ के तौर पर ट्रेंड
इसके तरह ग्रामिण मंत्रालय नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क और ग्रामीण मंत्रालय के द्वारा चलाई जाने वाली दिनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के साझा प्रयास से सेल्फ हेल्फ़ ग्रुप की महिलाओं को आयुष मंत्रालय के द्वारा चलाई जाने वाली वेलनेस सेंटर के लिए पारा मेडिक्स स्टॉफ के तौर पर ट्रेंड किया जाएगा।
22 हज़ार महिलाओं को ट्रेंड किया जाएगा
जिन पांच स्किल्स की ट्रेनिंग दी जाएगी उनमें पंचकर्मा और आयुर्वेद पद्धति से जुड़ी विधाओं के लिए स्किल्स मेनपॉवर तैयार करने के लिए किया जाएगा। उनमें पंचकर्माटेक्नीशियन, पंचकर्मा अस्सिटेंट, आयुर्वेदिक मसाजर कसारा कर्मा टेक्नीशियन , कपिंग थेरेपी अस्सिटेंट शामिल रहेगा। पहले चरण में 22 हज़ार महिलाओं को ट्रेंड किया जाएगा इसके बाद आने वाले 5 सालों में 1 लाख लोगों को ट्रेनिंग देने की योजना है।
आयुष का बाजार बढ़ा 3 गुना बढ़ा
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मौके पर कहाँ की केंद्र सरकार के प्रयास के बाद देश की नहीं दुनिया भर में भारतीय प्राचीन पद्धति से होने आयुष का बाजार बढ़ा 3 गुना बढ़ा हैं, जिसकी वजह से इस सेक्टर में काम करने वालो की मांग भी बढ़ी है वही ग्रामीण इलाकों में रहने वाले युवाओं के लिए ये सेक्टर एक बेहतर विकल्प होगा। गिरिराज सिंह का मानना है कि आयुष में जॉब्स के साथ साथ पारंपरिक पद्धति से बनाये जाने वाली दवाइयों और अन्न श्री के रूप में मिलेट्स पैदा करने वाले किसानों के लिए भी अपनी आय बढ़ाने का मौका है।।
प्लेसमेंट में भी संस्था मदद करेगी
आल इंडिया आयुर्वेद संस्थान् दिल्ली की निदेशक डॉ तनुजा नेसारी ने भी टाइम्स नाउ नवभारत को बताया कि नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत पहले चरण में 5 ट्रेड में टेनिंग दी जाएगी। जिनकी सबसे ज्यादा मांग रहती है। ट्रेनिंग के बाद उनके प्लेसमेंट में भी संस्था मदद करेगी। ट्रेनिंग में होने वाले खर्च का वहन खुद मंत्रालय करेगा।
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16 साल का अनुभव, राजनीति, पॉलिसी, पार्लियामेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर मामले में लिखता हूँ। एन्वॉयरमेंट से लेकर खेती किसानी पसंदीदा विषयऔर देखें

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