ईद के बाद आएगी शरिया क्रिप्टोकरेंसी, हलाल मार्केट को मिलेगा बढ़ावा
अगले महीने इस्लामिक कॉइन नाम से एक नई क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की जाएगी। इस्लामिक कॉइन पहले से ही प्राइवेट सेल्स मोड में एक्टिव है, पर अगले महीने इसे पब्लिक के लिए लॉन्च कर दिया जाएगा।
आ रही पहली शरिया क्रिप्टोकरेंसी इस्लामिक कॉइन
मुख्य बातें
- आ रही पहली शरिया क्रिप्टोकरेंसी
- इस्लामिक कॉइन नाम से होगी लॉन्च
- मई में पब्लिक के लिए की जाएगी शुरू
Sharia Cryptocurrency Islamic Coin : रमजान का महीना खत्म होने जा रहा है और इसके साथ ही दुनिया भर में ईद का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। ईद के कुछ समय बाद पहली शरिया क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की जाएगी। ये उन लोगों के लिए एक बड़ा अवसर होगा, जो हलाल क्रिप्टोरकरेंसी यूज करने के अलावा उसमें निवेश करना चाहते हैं।
लॉन्च किया जाएगा इस्लामिक कॉइन
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ईद के बाद पब्लिक के लिए इस्लामिक कॉइन नाम से पहली ऐसी क्रिप्टोकरेंसी को लॉन्च किया जाएगा, जो शरियत का अनुपालन करती है। अरेबियन बिजनेस की रिपोर्ट में इस्लामिक कॉइन के एक को-फाउंडर के हवाले से बताया गया है कि इस्लामिक कॉइन को अगले महीने पब्लिक के लिए शुरू किया जाएगा।
फिलहाल इस्लामी कॉइन प्राइवेट सेल्स मोड में चल रही है। ये हक ब्लॉकचैन पर काम करती है, जो एक ऐसा नेटवर्क है, जो दुनिया भर में हजारों एप्लिकेशंस के साथ कंपेटिबल है।
कैसे है हलाल क्रिप्टोकरेंसी
हक, जिसका अर्थ अरबी में 'सत्य' है, फाइनेंस के मामले में इस्लामी सिद्धांतों और परंपराओं का सख्ती से पालन करता है, जिसमें इस्लामिक कॉइन इसकी मूल क्रिप्टोकरेंसी है।
मिल रहा काफी सपोर्ट
इस्लामिक कॉइन को वेंचर कैपिटलिस्ट और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस से काफी सपोर्ट मिल रहा है। इस्लामिक कॉइन के को-फाउंडर मोहम्मद अलकाफ अलहाशमी के अनुसार, यह सपोर्ट करेंसी के ट्रैक्शन में कम्युनिटी के विश्वास और भरोसे का निर्माण करेगा।
हलाल मार्केट को बढ़ावा
वैश्विक इस्लामी फाइनेंशियल मार्केट के 2024 तक 3.69 ट्रिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है, जो शरिया अनुपालन फाइनेंस में बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाता है। हलाल प्रोडक्ट्स की मार्केट 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है। इसी पर अलहाशमी का कहना है कि अब हलाल केवल भोजन को लेकर नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों, कॉस्मेटिक्ट्स के अलावा सब कुछ वास्तव में हलाल हो, ये सुनिश्चित करने पर है, जो कि समुदाय की नैतिकता और वैल्यू पर फिट बैठे।
नॉन-मुस्लिम भी कर रहे यूज
दिलचस्प बात यह है कि इस्लामिक कॉइन की कम से कम 50 प्रतिशत प्राइवेट सेल्स नॉन-मुस्लिमों से हुई। वहीं हर मिंटेड इस्लामिक कॉइन का दस प्रतिशत एवरग्रीन डीएओ को जाता है, जो एक नॉन-प्रोफिट वर्चुअल फाउंडेशन है। ऐसा कम्युनिटी प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए किया जाता है। हालांकि कॉइन के को-फाउंडर यह तय नहीं करते हैं कि किन प्रोजेक्ट की फाइनेंस की जानी चाहिए।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें
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