Economy Review :10 साल में औसत कृषि विकास दर 3.7 फीसदी, GVA में 18 फीसदी हिस्सेदारी का अनुमान
Economy Review: वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार की गई भारत अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र, जिसका वित्तवर्ष 2024 में भारत के जीवीए का 18 प्रतिशत हिस्सा होने का अनुमान है, देश की अर्थव्यवस्था का आधार है।
कृषि क्षेत्र पर सरकार का फोकस
Economy Review: कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का आधार है। और उसकी देश के जीवीए में हिस्सेदारी 18 फीसदी पहुंचने का अनुमान है।वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार की गई अर्थव्यवस्था समीक्षा में यह बातें कही गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस साल में औसत कृषि विकास दर 3.7 फीसदी रही है। जबकि 2023 में इसमें 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 23 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन 32.98 करोड़ टन था, जो उसके साल पहले की तुलना में 1.41 करोड़ टन ज्यादा है। समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी नीतिगत पहलों ने किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रिकॉर्ड उत्पादन
वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार की गई भारत अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र, जिसका वित्तवर्ष 2024 में भारत के जीवीए का 18 प्रतिशत हिस्सा होने का अनुमान है, देश की अर्थव्यवस्था का आधार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तवर्ष 23 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन 32.97 लाख टन था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.41 करोड़ टन की वृद्धि दर्शाता है। प्रतिवर्ष औसत खाद्यान्न उत्पादन वित्तवर्ष 2015 से वित्तवर्ष 2023 तक 28.9 लाख टन था, जबकि वित्तवर्ष 2005 से वित्तवर्ष 2014 में यह 23.3 लाख टन था। यही वजह है कि चावल, गेहूं, दालें, पोषक/मोटे अनाज और तिलहन के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई। भारत दुनिया भर में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर प्रदर्शन कृषि निर्यात में भी दिखता है। जो वित्तवर्ष 2023 में 24.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के रिकॉर्ड को पार कर गया है।
एमएसपी का फायदा मिला
अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट और जलवायु परिस्थितियों में परिवर्तनशीलता से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय दृढ़ता और लचीलेपन का प्रदर्शन किया है, जिससे भारत की आर्थिक सुधार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।इसमें कहा गया है कि सरकार ने कृषि क्षेत्र की वृद्धि और लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए कई रणनीतिक उपाय लागू किए हैं।रिपोर्ट में कहा गया है, "एक उल्लेखनीय हस्तक्षेप 22 खरीफ और रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में लगातार वृद्धि है।इसमें कहा गया है कि कृषि वर्ष 2018-19 के बाद से सरकार ने एमएसपी के तहत कवर की गई प्रत्येक फसल के लिए अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत मार्जिन सुनिश्चित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मूल्य समर्थन का उद्देश्य भारत की आयात निर्भरता को कम करना और दालों, तेल और वाणिज्यिक फसलों के प्रति विविधीकरण को बढ़ावा देना भी है।
ये योजनाएं कारगर
इसमें कहा गया है कि 2023-24 में मसूर (मसूर) के लिए एमएसपी में सबसे अधिक 2425 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 2200 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई।रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी नीतिगत पहलों ने किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।12 दिसंबर, 2023 तक 11 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 2.8 लाख करोड़ से अधिक हस्तांतरित किए जा चुके हैं।इसमें कहा गया है कि सरकार पीएम-केएमवाई के तहत नामांकित 23.4 लाख छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन लाभ प्रदान करती है।रिपोर्ट में कहा गया है, "गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक कारणों के खिलाफ सरल और किफायती फसल बीमा की पेशकश करने वाली पीएमएफबीवाई की सफलता, 2016-17 से बीमाकृत 55.5 करोड़ किसान आवेदनों और दावों के रूप में 21.5 लाख करोड़ भुगतान से स्पष्ट है।
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