Sunil Mittal: एयरटेल के फाउंडर सुनील मित्तल का बड़ा बयान,बोले-अफसोस लेकिन वोडाफोन का अस्तित्व नहीं!
Airtel Chairman Sunil Mittal: जब उनसे पूछा गया कि वह अभी उद्योग संरचना को कैसे देखते हैं और क्या वोडाफोन बाजार में बना रहे रहेगा, तो मित्तल ने कहा कि यह "कहना बहुत कठिन है।" "सरकार ने भले वीआई का सपोर्ट किया हो लेकिन वीआई पिछड़ रही है।
सुनील मित्तल ।
जब उनसे पूछा गया कि वह अभी उद्योग संरचना को कैसे देखते हैं और क्या वोडाफोन बाजार में बना रहे रहेगा, तो मित्तल ने कहा कि यह "कहना बहुत कठिन है।" "सरकार ने भले वीआई का सपोर्ट किया हो लेकिन वीआई पिछड़ रही है। बाजार हिस्सेदारी में काफी कमी आई है। देश के बड़े हिस्से में, (मुझे यह कहते हुए अफसोस है) उनका अब अस्तित्व नहीं है।'' उन्होंने कहा कि वीआई में सरकार की 33.1% हिस्सेदारी है, लेकिन अंततः यह उस कंपनी के प्रमोटर के हाथ में है कि वह क्या निर्णय लेते हैं।
वोडाफोन को एक मजबूत निवेशक की जरूरत
उन्होंने कहा कि वोडाफोन को एक ऐसे निवेशक की जरूरत है जो "पैसा जमा कर सके और कुछ साल तक निगेटिव रिटर्न के बावजूद बिजनेस पर बना रहे। एक निवेशक जो वीआई में बहुत अधिक पूंजी लगाने के लिए आता है, उसे धैर्य रखना होगा। मेरे अनुमान के अनुसार, जो अंतर है उसे भरने के लिए आपको $7-9 बिलियन की जरूरत है।"
5G पर मित्तल क्या बोले
भारत में 5जी के बारे में बात करते हुए मित्तल ने कहा कि अच्छी खबर यह है कि यह काफी क्षमता पैदा करता है, जो 4जी हमें नहीं दे पाता। "अब हमारे और Jio दोनों के पास डेटा खर्च का अगला भार उठाने की क्षमता है। अभी भी समय से कुछ साल आगे हैं लेकिन दुनिया आगे बढ़ चुकी है और भारत को भी आगे बढ़ना है।" उन्होंने आगे कहा कि भारत को यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि वह दुनिया में सबसे तेज 5जी रोलआउट करने वाला देश है।
5G के लिए नहीं होगी कोई अलग कीमत
मित्तल ने कम से कम निकट भविष्य में 5G के लिए अलग से चार्च लेने से भी इनकार किया। लेकिन उन्होंने टेलीकॉम सेगमेंट में टैरिफ बढ़ोतरी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने भारत में कम से कम 2-3 टेलिकॉम कंपनियां होने की बात कही। इसके पीछे उनका तर्क था कि यह ग्राहकों सहित सभी के हित में है। इसमें बाजार में व्यवहारिक और स्वस्थ दूरसंचार वातावरण बनेगा। इसका मतलब है कि कंपनियों के पास नए नेटवर्क के लिए पर्याप्त धन होना चाहिए। 5G में एयरटेल के निवेश पर उन्होंने कहा कि वह पिछले 18 महीनों में 5G स्पेक्ट्रम और नेटवर्क पर लगभग 80,000 करोड़ रुपये (लगभग 10 बिलियन डॉलर) खर्च कर चुके हैं, जो (रिलायंस) Jio से दोगुना खर्च है। स्पेक्ट्रम पर और नेटवर्क को मिलाकर लगभग 25 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है, जिससे कोई रेवेन्यू नहीं मिल रहा है। इसलिए, यह इस तरह से नहीं चल सकता है। मैं कहूंगा, जितनी जल्दी हम 250 रुपये और 300 रुपये के एआरपीयू तक पहुंच जाएंगे। यह देश के डिजिटल सपने के लिए बेहतर होगा।
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