10 साल बाद आपके 20 लाख की वैल्यू हो जाएगी इतनी कम,नहीं होगा यकीन
Future Planning: असल में किसी भी वस्तु की कीमत तय होने में इनपुट कॉस्ट (लागत) सबसे ज्यादा मायने रखता है। और इनपुट कॉस्ट का कनेक्शन सीधे महंगाई से है।
महंगाई पड़ेगी भारी
Future Planning: बदलती लाइफस्टाइल और उसके अनुसार बढ़ते खर्च की वजह से फाइनेंशियल प्लानिंग बेहद अहम हो गई है। और यह प्लानिंग मौजूदा जरुरत के साथ-साथ फ्यूचर के लिए भी अहम होती है। लेकिन महंगाई को देखते हुए यह भी जानना जरूरी है कि जितने पैसों में आप का खर्च आज चल रहा है, क्या वह रकम 10 साल, 15 साल बाद भी काफी होगी। जाहिर तौर पर ऐसा नहीं होगा, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। अगर मौजूदा महंगाई के स्तर के आधार पर आप 20 लाख रुपये कहीं निवेश करते हैं। तो वहीं निवेश 10 साल बाद करने के लिए आप को करीब 35 लाख रुपये खर्च करने होंगे।
कैसे घट जाएगी एक्चुअल वैल्यू
असल में किसी भी वस्तु की कीमत तय होने में इनपुट कॉस्ट (लागत) सबसे ज्यादा मायने रखता है। और इनपुट कॉस्ट का कनेक्शन सीधे महंगाई से है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि किसी वस्तु की लागत में महंगाई की वजह से बढ़ोतरी होती रहती है। मसलन अप्रैल से मारुति,टाटा जैसी कंपनियों बढ़ी हुई इनपुट कॉस्ट को देखते हुए कीमतों में इजाफा करने जा रही है। इस मतलब यह है कि जो कार आप को आज 5 लाख रुपये में मिलती है। वहीं कार बढ़ी लागत की वजह से ज्यादा पैसे में मिलेगी। यानी कार खरीदने के लिए 5 लाख रुपये काफी नहीं रह जाएंगे।
ऐसे कैलकुलेट करें एक्चुअल वैल्यू
निवेश की राशि (रुपये) | महंगाई दर | 10 साल बाद वैल्यू |
5 लाख | 6 % | 8.95 लाख |
10 लाख | 6 % | 17.90 लाख |
20 लाख | 6 % | 35.81 लाख |
ऐसे में फ्यूचर प्लानिंग करके समय जब भी फंड बनाने की प्लान करें, तो हमेशा महंगाई के आधार पर कैलकुलेशन कर ही निवेश करें। इसलिए उन जगहों पर निवेश करना फायदेमंद होता है, जहां महंगाई की तुलना में रिटर्न ज्यादा मिल रहा है। इसमें बैंक एफडी, म्युचुअल फंड, पोस्ट ऑफिस की सेविंग में निवेश के विकल्प तलाशे जा सकते हैं।
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