अनिल अंबानी की इस कंपनी का है राफेल से नाता, जानें क्यों बिकने को मजबूर

Anil Ambani Rafale Deal: कर्जदाता दिवालिया रिलायंस नेवल के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली हेजल मर्केंटाइल के साथ कंपनी के लिए 263 करोड़ रुपये के अग्रिम कैश भुगतान की डेडलाइन बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

Anil Ambani Rafale Deal

अनिल अंबानी की कंपनी का राफेल से नाता है

मुख्य बातें
  • रिलायंल नेवल का राफेल से है कनेक्शन
  • रिलायंल नेवल की सब्सिडियरी ने की थी डील
  • रिलायंल नेवल बिकने को है मजबूर
Anil Ambani Rafale Deal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 और 14 जुलाई को फ्रांस के दौरे (PM Modi France Visit) पर रहेंगे। इस दौरान राफेल-एम को खरीदने पर डील हो सकती है। इस बीच वो पुरानी डील चर्चा में है, जिसे अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड ने किया था। रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड, रिलायंस नेवल (Reliance Naval and Engineering Limited) की सब्सिडियरी है कंपनी है, जिसे पहले रिलायंस डिफेंस (Reliance Defence) के नाम से जाता था।
अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की हालत खस्ता है और उनकी एक के बाद एक कई कंपनियां दिवालिया हुई हैं। इनमें रिलायंस नेवल भी शामिल है। पर सवाल यह है कि फिर राफेल (Rafale) का क्या होगा।

क्यों हो सकती है बिकने को मजबूर

पहले समझिए कि रिलायंस नेवल आखिर क्यों बिकने को मजबूर हो सकती है। कर्जदाता दिवालिया रिलायंस नेवल के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली हेजल मर्केंटाइल के साथ कंपनी के लिए 263 करोड़ रुपये के अग्रिम कैश भुगतान की डेडलाइन बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
यदि बातचीत विफल हुई तो कर्जदाता कंपनी की फिर से नीलामी के लिए आगे के निर्देश मांगने के लिए NCLT का रुख कर सकते हैं। इस साल मार्च में एनसीएलटी के आदेश के अनुसार, हेजल के पास अपफ्रंट कैश पेमेंट करने के लिए 23 जुलाई तक का समय है।

राफेल से कनेक्शन क्या है

अब समझिए की रिलायंल नेवल का राफेल से क्या कनेक्शन है। राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी डसॉ एविएशन (Dassault Aviation) ने राफेल के लिए साल 2017 में अनिल अंबानी की रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (रिलायंस नेवल की सब्सिडियरी) के साथ डील की थी।
डील के तहत एक जॉइंट वेंचर बनाया गया, जिसका नाम डसॉ रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) रखा गया। इसमें अनिल अंबानी की कंपन की 51 फीसदी और डसॉ की 49 फीसदी हिस्सेदारी थी। पर रिलायंस एयरोस्पेस की पैरेंट ही दिवालिया हो गई है।

राफेल का क्या होगा

आखिरी और सबसे बड़ा सवाल है कि फिर राफेल का क्या होगा। DRAL में रिलायंस एयरोस्पेस की 51 फीसदी और डसॉ की 49 फीसदी हिस्सेदारी है और जॉइंट वेंचर में डसॉ अपने हिस्से का निवेश कर सकती है। संभावना है कि जॉइंट वेंचर पर अनिल अंबानी की कंपनी के दिवालिया का होने बहुत अधिक फर्क न पड़े।
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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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