अरहर, उड़द दाल पर तय की गई भंडारण सीमा, जमाखोरी और दाम को काबू में रखने के लिए सरकार ने उठाया कदम
Arhar and Urad Dal: सरकार ने जमाखोरी रोकने और कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए शुक्रवार को थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिल मालिकों के लिए अक्टूबर तक अरहर और उड़द दाल की भंडारण सीमा तय कर दी है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने इस संबंध में तत्काल प्रभाव से एक आदेश जारी किया है।
अरहर और उड़द दाल का उत्पादन गिरने का अनुमान
कौन, कितनी मात्रा में स्टॉक कर सकेगा दाल
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, “इस आदेश के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए तुअर और उड़द भंडारण सीमा 31 अक्टूबर, 2023 तक तय कर दी गई है।” आदेश के तहत थोक विक्रेताओं के लिए तुअर और उड़द का 200-200 टन, खुदरा विक्रेताओं और खुदरा दुकानों के लिए 5-5 टन और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो में 200 टन की भंडारण सीमा निर्धारित की गई है।
मिल मालिकों के लिए क्या है भंडारण का नियम
आधिकारिक बयान के अनुसार, मिल मालिकों के लिए भंडारण सीमा पिछले 3 महीनों का उत्पादन या सालाना क्षमता का 25 प्रतिशत (जो भी ज्यादा हो) रहेगी। आयातकों को सीमा शुल्क की मंजूरी मिलने के 30 दिन से अधिक भंडारण करने की अनुमति नहीं है।
पोर्टल पर देनी होगी भंडारण की जानकारी
मंत्रालय ने संबंधित कानूनी संस्थाओं से उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल https://fcainfoweb.nic.in/psp/ पर भंडारण की स्थिति घोषित करने के लिए कहा है और यदि उनके पास भंडारण निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित भंडारण सीमा में लाना होगा। सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। तुअर और उड़द पर भंडारण सीमा लागू करना इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
अरहर और उड़द दाल का उत्पादन गिरने का अनुमान
उपभोक्ता मामलों का विभाग राज्य सरकारों के साथ साप्ताहिक स्तर पर तुअर और उड़द दाल की भंडारण स्थित पर स्टॉक प्रकटीकरण पोर्टल के माध्यम से गहनता से नजर रखे हुए है। कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमान के अनुसार, देश का तुअर उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में कम होकर 34.3 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है, जो इससे पिछले वर्ष 42.2 लाख टन रहा था। वहीं, उड़द दाल का उत्पादन 27.7 लाख टन से घटकर 26.1 लाख टन रहने का अनुमान है।
भाषा इनपुट्स के साथ
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