Economic Survey: शेयर बाजार में 20 फीसदी परिवार लगा रहे हैं अपनी पूंजी, लेकिन इस बात का रिस्क भी
Share Market, Economic Survey: एनएसई में पंजीकृत निवेशकों की संख्या मार्च, 2020 के मुकाबले लगभग तीन गुना बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है। इसका मतलब यह है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजारों में लगा रहे हैं।
शेयर बाजार में निवेश का दौर
Share Market, Economic Survey:आर्थिक समीक्षा में शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या को लेकर आगाह करते हुए कहा गया है कि बाजार की वास्तविक स्थितियों को समझे बिना अधिक रिटर्न की उम्मीद कर पैसा लगाना चिंता का विषय है।संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया कि खुदरा निवेशकों की बढ़ी हुई भागीदारी पूंजी बाजार को स्थिरता प्रदान करती है। समीक्षा में वायदा एवं विकल्प (Future And Options) कारोबार में इन निवेशकों की बढ़ती रुचि पर भी गौर किया गया है।पिछले कुछ साल में भारतीय पूंजी बाजार में गतिविधियां बढ़ी हैं। लोग डिमैट खातों के माध्यम से बाजार में शेयरों की प्रत्यक्ष खरीद-बिक्री कर रहे हैं या फिर परोक्ष रूप से म्यूचुअल फंड के माध्यम से बाजार में निवेश कर रहे हैं।
छोटे निवेशक तेजी से बढ़े
समीक्षा के अनुसार, इक्विटी नकदी खंड कारोबार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में 35.9 प्रतिशत थी। दोनों डिपॉजिटरी के पास डीमैट खातों की संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 15.14 करोड़ हो गई, जो 2022-23 में 11.45 करोड़ थी।बाजार में निवेशकों की इस भागीदारी का असर शेयर बाजारों में नए निवेशक पंजीकरण, कुल कारोबार मूल्य में उनकी हिस्सेदारी, शुद्ध निवेश और सूचीबद्ध कंपनियों में स्वामित्व में भी दिखता है।उदाहरण के लिए, एनएसई में पंजीकृत निवेशकों की संख्या मार्च, 2020 के मुकाबले लगभग तीन गुना बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजारों में लगा रहे हैं।समीक्षा में कहा गया है कि शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ने पर गौर करने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अति आत्मविश्वास सट्टेबाजी को बढ़ावा देती है और अधिक रिटर्न की उम्मीद भी। जो वास्तविक बाजार स्थितियों के अनुरूप नहीं हो सकती है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
शेयर बाजार पर बढ़ा भरोसा
निवेशकों के बाजार में आने को जिन चीजों ने सुगम बनाया है, उनमें तकनीकी एकीकरण, वित्तीय समावेश के लिए सरकारी उपाय, डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि, स्मार्टफोन की तीव्र पहुंच, कम लागत वाली ब्रोकरेज कंपनियों का उदय, वैकल्पिक स्रोतों से आय उत्पन्न करने की चाहत और रियल एस्टेट और सोने जैसे पारंपरिक परिसंपत्ति वर्गों से कम रिटर्न शामिल हैं।समीक्षा के अनुसार हालांकि, खुदरा निवेशकों ने वित्तीय बाजारों में अपने लाभ को भुनाया है और वे अचल संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय पूंजी बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी स्वागतयोग्य है और इससे पूंजी बाजार में स्थिरता आती है। साथ ही, इससे खुदरा निवेशकों को अपनी बचत पर अधिक रिटर्न कमाने में मदद मिली है।डेरिवेटिव बाजार में खुदरा निवेशकों की रुचि को देखते हुए समीक्षा में कहा गया, “डेरिवेटिव का उपयोग निवेशकों द्वारा सट्टा उत्पाद के रूप में किया जाता है। भारत भी संभवतः इसका अपवाद नहीं है। समीक्षा में निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें निरंतर वित्तीय रूप से शिक्षित करने का आह्वान किया गया है। ताकि उन्हें डेरिवेटिव कारोबार के फायदा और नुकसान के बारे में आगाह किया जा सके।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें
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