Economic Decisions 2019: 2019 के वे बड़े आर्थिक फैसले, जिनका साल 2020 में आपके पैसे पर पड़ेगा असर

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Updated Dec 24, 2019 | 14:44 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Economic Decisions of India, 2019: साल 2019 में कई बड़े आर्थिक फैसले लिए गए हैं, जिनका असर साल 2020 में आपके पैसे या आपकी जेब पर पड़ेगा। आइए जानते हैं इन फैसलों के बारे में।

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Economic Decisions of India: इन फैसलों का आपकी जेब पर पड़ेगा असर  |  तस्वीर साभार: Getty Images

अतीत की वित्तीय घटनाएं हमारी भावी वित्तीय परिस्थिति को आकार देने में हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसी तरह, 2020 में आपके व्यक्तिगत वित्त (पर्सनल फाइनेंस) पर 2019 के कई वित्तीय घटनाक्रमों का बहुत बड़ा असर पड़ेगा। हमने यहाँ उनमें से कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर प्रकाश डाला है।

1. आपके बैंक लोन, रेपो रेट से जुड़े होंगे

बेस रेट और एमसीएलआर प्रणाली के तहत, इस बात की चिंता सताती थी कि बैंक, ब्याज दर में होने वाली कटौती का लाभ तुरंत उधारकर्ताओं तक नहीं पहुंचाते थे। जब-जब भारतीय रिजर्व बैंक, रेपो रेट में कटौती करता था, तब-तब लोन के ब्याज दर में उस हद तक कटौती नहीं की जाती थी। असल में, सेंट्रल बैंक ने 2019 में रेपो रेट में 135 बेसिस पॉइंट्स तक की कटौती की है और कई अर्थशास्त्रियों की राय है कि फरवरी 2020 में थोड़ी और कटौती की जा सकती है। 

इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्राहकों को ऐसी रेट कटौती का लाभ मिल सके, आरबीआई ने बैंकों को अपने रिटेल लेंडिंग रेट्स को एक बाहरी बेंचमार्क जैसे रेपो रेट से जोड़ने और तीन महीने में कम से कम एक बार अपना ब्याज दर (इंटरेस्ट रेट) अपडेट करने का आदेश दिया है। लोन को रेपो रेट से जोड़ने के लिए उठाए गए इस कदम की वजह से उधारकर्ताओं को आरबीआई द्वारा की जाने वाली किसी भी रेट कटौती का तुरंत लाभ मिल सकेगा। 

लेकिन, इसी के साथ, जब रेपो रेट बढ़ेगा, तब उधारकर्ताओं को लोन पर ज्यादा ब्याज दर देना पड़ेगा। इसलिए, 2020 में, उधारकर्ताओं को ब्याज दर के ट्रेंड्स पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और रेट कम होने पर जल्दी से अपना लोन चुकाने या ज्यादा से ज्यादा प्रीपेमेंट करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा, रेपो रेट वाली लोन व्यवस्था में एक अच्छे क्रेडिट स्कोर का होना बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि एक अच्छे स्कोर वाले को ही बेस्ट रेट ऑफर किया जा रहा है। 

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इसके विपरीत, खराब स्कोर वाले को ज्यादा रेट पर लोन मिलने की सम्भावना रहेगी, यदि आपकी लोन कंपनी अपने लोन ऑफर में रेपो रेट कटौती का लाभ स्थानांतरित करेगी तब भी। इसलिए, 2020 में नियमित रूप से अपने क्रेडिट स्कोर पर नजर रखना होगा और यदि आपका स्कोर 750 से कम है तो अपने स्कोर को बेहतर बनाने के लिए जल्दी से और असरदार कदम उठाना होगा जैसे क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन का रीपेमेंट करना होगा।

2. डिजिटाइजेशन को बढ़ाने पर लगातार दबाव बढ़ेगा

2019 में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देना सरकार के फोकस क्षेत्रों में से एक रहा है और 2020 में भी यही हाल रहने की सम्भावना है। उदाहरण के लिए, टोल बूथ पर कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने और आवागमन को तेज करने के लिए हाइवे पर टोल पेमेंट को अब फास्टैग से जोड़ दिया गया है। आरबीआई ने भी 1 जुलाई 2019 से एनईएफटी और आरटीजीएस लेनदेनों पर से चार्ज हटा लिया है और बैंकों को इसका लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है। 

सेंट्रल बैंक ने ग्राहकों को 24x7 आधार पर एनईएफटी की सुविधा देने का भी ऐलान किया है। सिर्फ यही नहीं। कई कार्ड कंपनियां और अन्य कंपनियां, डिजिटल पेमेंट के लिए अनगिनत इंसेंटिव जैसे एक्स्ट्रा कैशबैक, रिवार्ड पॉइंट्स, इत्यादि दे रही हैं। इसलिए, इस तरह के ऑफर का लाभ उठाने के लिए और अपने लेनदेन को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए, 2020 में डिजिटल हो जाइए।

3. बढ़ती होम इन्वेंटरी का लाभ खरीदारों को ही मिलेगा

2019 की दूसरी छमाही में रिलीज किए गए, रियल्टी सेक्टर पर किए गए तरह-तरह के रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि देश के अलग-अलग शहरों में डेवलपर्स के इन्वेंटरी हैण्डओवर में बढ़ोत्तरी हुई है। इससे पता चलता है कि डेवलपर्स को मौजूदा कीमत पर घर बेचने में कठिनाई हो रही है। लेकिन, होम लोन का ब्याज दर, एक घर खरीदने वाले के नजरिए से एक बहुत ही आकर्षक स्तर तक गिर चुका है।

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इसलिए, यदि आप एक घर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो 2020, बेस्ट ऑफर पाने के लिए डेवलपर्स के साथ मोलभाव करने के लिए एक बहुत अच्छा समय होने की उम्मीद है। एक अच्छी कीमत पर एक प्रॉपर्टी खरीदने के अलावा, आपको एक बेहतर लोकेशन में एक घर ढूँढने का चांस भी मिल सकता है।

4. होम लोन पर नए टैक्स बेनिफिट पर नजर रखें

सरकार ने इस साल सेक्शन 80EEA के तहत एक्स्ट्रा टैक्स डिडक्शन बेनिफिट देने का ऐलान किया है जिससे 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच मंजूर किए गए होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर रु.1.5 लाख तक का टैक्स डिडक्शन बेनिफिट मिल सकता है। प्रॉपर्टी का वैल्यू रु.45 लाख (स्टाम्प ड्यूटी के कैलकुलेशन के आधार पर) से ज्यादा नहीं होना चाहिए और प्रॉपर्टी का कारपेट एरिया, मेट्रो शहरों में 645 वर्ग फीट और अन्य शहरों में 968 वर्ग फीट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आपको इस टैक्स डिडक्शन का लाभ उठाने के लिए कुछ अन्य शर्तों का भी पालन करना पड़ेगा। इसलिए, यदि आप अपना खुद का घर खरीदना चाहते हैं तो आप चाहें तो एक्स्ट्रा टैक्स बेनिफिट का लाभ उठाने के लिए मार्च 2020 से पहले यह काम कर सकते हैं।

5. नया इन्वेस्टमेंट करने का मौका

सरकार ने हाल ही में भारत बॉन्ड ईटीएफ शुरू किया है। एक निवेशक इस प्रोडक्ट में कम से कम रु.1,000 से भी अपना निवेश शुरू कर सकता है। स्टॉक्स की तरह ईटीएफ को भी स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म पर खरीदा और बेचा जा सकता है। भारत बॉन्ड ईटीएफ में, क्रमशः 3 साल और 10 साल के लिए 12 से 13 पीएसयू कंपनियों में डेब्ट इन्वेस्टमेंट शामिल होगा। 

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मार्केट में ब्याज दर में बदलाव होने पर इस ईटीएफ का एनएवी भी बढ़ेगा या घटेगा; लेकिन, इस प्रोडक्ट को मैच्योरिटी तक होल्ड करके रखने पर, आपके रिडेम्पशन वैल्यू पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसलिए, यदि आप एक सुरक्षित निवेश उत्पाद (इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट) जैसे एफडी या स्मॉल सेविंग्स स्कीम में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, खास तौर पर जब डिपोजिट रेट में हाल के कुछ महीनों में काफी गिरावट देखने को मिली है, तो आप अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने के लिए 2020 में भारत बॉन्ड ईटीएफ जैसे विकल्प का पता लगा सकते हैं।

2020 में आपको इस तरह की घटनाओं पर नजर रखने की जरूरत है। थोड़ी बुद्धिमानी से काम लेने पर आपको ज्यादा से ज्यादा पैसे बचाने और अपने निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न कमाने में मदद मिल सकती है।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।)

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